क्या है पौराणिक कथा
ब्रह्मपुराण के अनुसार, शनिदेव सूर्य नारायण और छाया के पुत्र हैं। बचपन से ही शनिदेव श्री कृष्ण की भक्ति में तल्लीन रहते थे और अपना अधिकतम समय भगवान कृष्ण की उपासना में ही बिताते थे। फिर शनिदेव के बड़े होने पर उनके पिताजी ने उनका विवाह चित्ररथ की कन्या से कर दिया। शनिदेव की पत्नी बड़ी ही पतिव्रता और तेजस्विनी थीं। ऐसे में पति पत्नी दोनों ही अपनी पूजा-पाठ में मग्न रहते थे।
फिर एक बार की बात है कि शनिदेव की पत्नी मन में संतान प्राप्ति की लिए उनके पास पहुंची। लेकिन इस समय शनिदेव अपने आराध्य श्रीकृष्ण की आराधना में मग्न थे। वहीं पत्नी के खूब प्रयासों के बावजूद शनिदेव का ध्यान भंग नहीं हुआ। इससे परेशान होकर शनिदेव की पत्नी को गुस्सा आ गया और उन्होंने अपने ही पति को श्राप देते हुए कहा कि, "आज के बाद जिस पर भी शनि की दृष्टि पड़ेगी, वह बर्बाद हो जाएगा।"
फिर शनिदेव तपस्या पूर्ण होने के बाद अपनी पत्नी को मनाने के लिए उनके पास गए, तब उनकी पत्नी को अपनी गलती महसूस हुई कि उन्होंने अकारण ही अपने पति को श्राप दे दिया। परंतु अब देर हो चुकी थी और शनिदेव की पत्नी के पास अपने श्राप को वापस लेना वश में नहीं था। बस फिर उसी दिन से अपनी विनाशकारी दृष्टि के कारण किसी का बेवजह बुरा न हो जाए, शनिदेव अपना सिर झुकाकर चलने लगे।
इसलिए ज्योतिष शास्त्र में भी माना गया है कि शनि की टेढ़ी नजर जिस मनुष्य पर पड़ती है, उसके जीवन से सुख-समृद्धि का नाश होने के साथ ही वह व्यक्ति हर तरफ से निराश हो जाता है। शनि की पीड़ा से ग्रसित व्यक्ति को अपनी निजी रिश्तों, सेहत, नौकरी या कारोबार से जुड़ी कई समस्याएं घेर लेती हैं।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)