धर्म और अध्यात्म

जरूरत पड़े तो किडनी देने और जान बचाने में भी पीछे नहीं बहनें

शिमला कहती हैं, ओम तो भाई है, जरूरतमंद कोई और हो तो भी जीवन बचाने से पीछे नहीं हटना चाहिए

Aug 16, 2017 / 12:08 pm

सुनील शर्मा

brother sister love

रक्षाबन्धन के त्योहार पर भाइयों को राखी बांधकर बहनें अपनी रक्षा का वचन जरूर लेती हैं लेकिन भाई की लम्बी उम्र की हर पल कामना करती हैं। जरूरत पड़े तो किडनी देकर भाइयों की जान बचाने में भी पीछे नहीं रहतीं।
प्रदेश के सबसे बड़े सवाई मानसिंह अस्पताल में अब तक हुए किडनी ट्रांसप्लांट के आंकड़ों में बहनों का ऐसा ही ममतामयी रूप उभरकर सामने आया है। एसएमएस अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. धनंजय अग्रवाल ने बताया कि अब तक के किडनी ट्रांसप्लांट के आंकड़े गवाह हैं कि किडनी के रूप में नया जीवन देने के मामले में महिलाएं पुरुषों से कहीं आगे हैं। पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने यह दान ज्यादा किया।
यहां भी बहन ने दी लंबी उम्र

श्रीगंगानगर जिले में सरकारी स्कूल के प्रिंसिपल आेमप्रकाश सुथार की किडनी वर्ष २००५ में डेमेज हो गई। जयपुर में एसएमएस अस्पताल के डॉक्टरों ने किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत बताई। बड़े भाई किशनलाल आगे आए लेकिन उनकी भी एक किडनी खराब निकली। आखिर बहन शिमलादेवी ने कहा, किडनी मैं दंूगी। वह जयपुर पहुंचीं और ३ मार्च २००६ को भाई को किडनी दे जीवन बचाया। आज भी ओमप्रकाश अपनी बहन का पल-पल शुक्रिया अदा करते हैं। जबकि शिमला कहती हैं, ओम तो भाई है, जरूरतमंद कोई और हो तो भी जीवन बचाने से पीछे नहीं हटना चाहिए।
कुल दानदाताओं में महिलाएं आगे

इससे साबित होता है कि केवल भाई ही नहीं, वरन बहनें भी अपने भाईयों के प्राणों पर संकट आने पर उन्हें बचाने से पीछ नहीं हटती। शायद यही कारण है कि इस रिश्ते को सनातन धर्म में इतनी प्रमुखता दी गई है और धूमधाम के साथ इसे एक पर्व के रूप में मनाया जाता है।

Home / Astrology and Spirituality / Religion and Spirituality / जरूरत पड़े तो किडनी देने और जान बचाने में भी पीछे नहीं बहनें

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.