चाणक्य ने अपनी इस नीति में बताया है कि इंसान को कहां रहना चाहिए और कहां नहीं, इसके अलावे किन स्थानों से तुरंत हट जाना चाहिए… यस्मिन देशे न सम्मानो न वृत्तिर्न च बांधव:।
न च विद्यागमोऽप्यस्ति वासस्तत्र न कारयेत्।।
चाणक्य नीति के इस श्लोक के अनुसार, जिस स्थान पर मान-सम्मान न हो, रोजगार न हो, रिश्तेदार न हो, शिक्षा न हो, सबसे बड़ी बात ये है कि वहां के लोगों में कोई गुण न हो, उस स्थान पर घर नहीं बनाना चाहिए। ऐसे स्थान को तुरंत छोड़कर दूसरे स्थान पर चले जाना चाहिए।
मान-सम्मान चाणक्य नीति के अनुसार, जिस जगह पर मान-सम्मान न मिले या कोई आदर न करे, ऐसी जगह पर कभी नहीं रहना चाहिए।
रोजगार चाणक्य नीति के अनुसार, स्थान कितनी भी सुंदर क्यों न हो, अगर वहां रोजगार का कोई साधन न हो तो उस स्थान को तुरंत छोड़ देना चाहिए।
रोजगार चाणक्य नीति के अनुसार, स्थान कितनी भी सुंदर क्यों न हो, अगर वहां रोजगार का कोई साधन न हो तो उस स्थान को तुरंत छोड़ देना चाहिए।
रिश्तेदार चाणक्य नीति के अनुसार, जिस जगह पर आपका कोई रिश्तेदार या कोई दोस्त भी न रहता हो उस स्थान का तुरंत त्याग कर देना चाहिए। ऐसे स्थान पर कभी नहीं रहना चाहिए।
शिक्षा चाणक्य नीति के अनुसार, जिस जगह पढ़ाई-लिखाई को कम महत्व मिलता हो, शिक्षा के साधनों की कमी हो, उस जगह पर कभी भी नहीं रहना चाहिए और ऐसे स्थान को तुरंत छोड़ देना चाहिए।
गुण चाणक्य नीति के अनुसार, जहां के लोगों में गुणों का अभाव हो, सीखने के लिए कुछ न हो, वैसे स्थान पर भूलकर भी नहीं रहना चाहिए। वैसे स्थान को छोड़ने में ही भलाई है।