तीस वर्ष से कम आयु के मनुष्य अवतार की वाणी से अधिक प्रभावित होंगे वे नवयुग का निर्माण करने में अवतार का उद्देश्य पूरा करने में विशेष सहायता देंगे । अपने प्राणों की भी परवा न करके अनीति के विरुद्ध वे धर्म युद्ध करेंगे और नाना प्रकार के कष्टों को सहन करते हुए बड़े से बड़ा त्याग करने को तत्पर हो जावेंगे । तीस वर्ष से अधिक आयु के लोगों में अधिकाँश की आत्मा भारी होगी और वे सत्य के पथ पर कदम बढ़ाते हुए झिझकेंगे । उन्हें पुरानी वस्तुओं से ऐसा मोह होगा कि सड़े गले कूड़े कचरे को हटाना भी उन्हें पसंद न पड़ेगा । यह लोग चिरकाल तक नारकीय बदबू में सड़ेंगे, दूसरों को भी उसी पाप पंक में खींचने का प्रयत्न करेंगे, अवतार के उद्देश्य में, नवयुग के निर्माण में, हर प्रकार से यह लोग विघ्न बाधाएं उपस्थित करेंगे । इस पर भी इनके सारे प्रयत्न विफल जायेंगे, इनकी आवाज को कोई न सुनेगा, चारों ओर से इन मार्ग कंटकों पर धिक्कार बरसेंगी, किन्तु अवतार के सहायक उत्साही पुरुष पुँगब त्याग और तपस्या से अपने जीवन को उज्ज्वल बनाते हुए सत्य के विजय पथ पर निर्भयता पूर्वक आगे बढ़ते जावेंगे ।
अधर्म से धर्म का, असत्य से सत्य का, अनीति से नीति का, अन्धकार से प्रकाश का, दुर्गन्ध से मलयानिल का, सड़े हुए कुविचारों से नवयुग निर्माण की दिव्य भावना का घोर युद्ध होगा । इस धर्म युद्ध में ईश्वरीय सहायता न्यायी पक्ष को मिलेगी । पाँडवों की थोड़ी सेना कौरवों के मुकाबले में, राम का छोटा सा वानर दल विशाल असुर सेना के मुकाबले में, विजयी हुआ था, अधर्म अनीति की विश्व व्यापी महाशक्ति के मुकाबले में सतयुग निर्माताओं का दल छोटा सा मालूम पड़ेगा, परन्तु भली प्रकार नोट कर लीजिए, हम भविष्यवाणी करते हैं कि निकट भविष्य में सारे पाप प्रपंच ईश्वरीय कोप की अग्नि में जल-जल कर भस्म हो जायेंगे और संसार में सर्वत्र सद्भावों की विजय पताका फहरा वेगी ।
(अखण्ड ज्योति, जनवरी 1943 पृष्ठ 16)