scriptविचार मंथन : कर्ज वाली लक्ष्मी ना कोई विदा करें नहीं कोई स्वीकार करें- भगवती देवी शर्मा | Daily Thought Vichar Manthan bhagwati devi sharma | Patrika News

विचार मंथन : कर्ज वाली लक्ष्मी ना कोई विदा करें नहीं कोई स्वीकार करें- भगवती देवी शर्मा

locationभोपालPublished: Nov 20, 2018 04:45:59 pm

Submitted by:

Shyam

कर्ज वाली लक्ष्मी ना कोई विदा करें नहीं कोई स्वीकार करें- भगवती देवी शर्मा

Daily Thought Vichar Manthan

विचार मंथन : कर्ज वाली लक्ष्मी ना कोई विदा करें नही कोई स्वीकार करे- भगवती देवी शर्मा

कर्ज वाली लक्ष्मी

आज एक बात आप सभी से कहने का बड़ा मन हो रहा, और खासकर उन लोगों को जो दहेज रूपी भीख मांगते है, और उनसे भी जो कर्ज लेकर भी दहेज रूपी भीख देने को तैयार रहते है । एक छोटा 15 साल का भाई अपने पापा से “पापा पापा दीदी के होने वाले ससुर और सास कल आ रहे है अभी जीजाजी ने फोन पर बताया”. दीदी मतलब उसकी बड़ी बहन की सगाई कुछ दिन पहले एक अच्छे घर में तय हुई थी ।

 

दीनदयाल जी पहले से ही उदास बैठे थे धीरे से बोले… हां बेटा.. उनका कल ही फोन आया था कि वो एक दो दिन में दहेज की बात करने आ रहे हैं.. बोले… दहेज के बारे में आप से ज़रूरी बात करनी है.. बड़ी मुश्किल से यह अच्छा लड़का मिला था.. कल को उनकी दहेज की मांग इतनी ज़्यादा हो कि मैं पूरी नही कर पाया तो ?” कहते कहते उनकी आँखें भर आयीं ।

 

घर के प्रत्येक सदस्य के मन व चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई दे रही थी…लड़की भी उदास हो गयी… खैर.. अगले दिन समधी समधिन आए.. उनकी खूब आवभगत की गयी.. कुछ देर बैठने के बाद लड़के के पिता ने लड़की के पिता से कहा” दीनदयाल जी अब काम की बात हो जाए.. दीनदयाल जी की धड़कन बढ़ गयी.. बोले.. हां हां.. समधी जी.. जो आप हुकुम करें.. लड़के के पिताजी ने धीरे से अपनी कुर्सी दीनदयाल जी और खिसकाई ओर धीरे से उनके कान में बोले. दीनदयाल जी मुझे दहेज के बारे बात करनी है !

 

दीनदयाल जी हाथ जोड़ते हुये आँखों में पानी लिए हुए बोले बताईए समधी जी….जो आप को उचित लगे.. मैं पूरी कोशिश करूंगा ।

 

समधी जी ने धीरे से दीनदयाल जी का हाथ अपने हाथों से दबाते हुये बस इतना ही कहा….. आप कन्यादान में कुछ भी देगें या ना भी देंगे… थोड़ा देंगे या ज़्यादा देंगे.. मुझे सब स्वीकार है… पर कर्ज लेकर आप एक रुपया भी दहेज मत देना.. वो मुझे स्वीकार नहीं.. क्योकि जो बेटी अपने बाप को कर्ज में डुबो दे वैसी “कर्ज वाली लक्ष्मी” मुझे स्वीकार नही…मुझे बिना कर्ज वाली बहू ही चाहिए.. जो मेरे यहाँ आकर मेरी सम्पति को दो गुना कर देगी.. दीनदयाल जी हैरान हो गए.. उनसे गले मिलकर बोले.. समधी जी बिल्कुल ऐसा ही होगा ।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो