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विचार मंथन : दूसरों के अवगुणों की सूची बनाकर देखिए कि आप किन-किन बातों में उनसे बेहतर और बढ़कर है- भगवती देवी शर्मा

locationभोपालPublished: Jun 08, 2019 05:07:26 pm

Submitted by:

Shyam

परेशान एवं दुखी मत होइए, अपने आप पर विश्वास रखें- भगवती देवी शर्मा

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विचार मंथन : अन्य मनुष्यों के अवगुणों की सूची बनाकर देखिए कि आप किन-किन बातों में उनसे बेहतर और बढ़कर है- भगवती देवी शर्मा

अपनी कमजोरियों को दूर कीजिये

आप कितनी भी कठिन परिस्थितियों में क्यों न हों, आप अपनी खिन्नता, अपनी मानसिक दशा परिवर्तित करके दूर कर सकते हैं। मस्तिष्क के एक भाग (Cerebrum) से, जहां विचार उत्पन्न होते हैं, मस्तिष्क के दूसरे भाग (Thalamus) में जहां प्रसन्नता अथवा अप्रसन्नता का अनुभव करते हैं, दूसरे प्रकार के विचार भेज कर खिन्नता तथा उदासीनता दूर की जा सकती है। नाना प्रकार की मानसिक दशाओं में भिन्न-भिन्न विचारों को अपनाइये—

 

अपने गुणों को बढ़ाने का प्रयत्न करिए

– आप अपनी त्रुटियों एवं अवगुणों के विषय में मनन करना बन्द कर दीजिये। अन्य मनुष्यों के अवगुणों की सूची बना लीजिए और उनमें से किसी मुख्य पर ध्यान दीजिए और मनन कीजिए। अपने गुणों को बढ़ाने का प्रयत्न करिए। देखिए कि आप किन-किन बातों में दूसरे मनुष्यों से बढ़कर हैं और उन बातों पर विचार कीजिए। अपने विषय में सोचने के स्थान में दूसरों के विषय में सोचिए।

 

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विचारों को बदलें

– किसी भी काली लड़की का अत्यन्त सुन्दर महिलाओं की संगति में अपने आपको हीन अथवा निकृष्ट नहीं समझना चाहिए। उसे संगीतज्ञ और शिक्षित हो जाने का भरसक प्रयत्न करना चाहिए। अपने गुणों को बढ़ाने के विषय में सोचते रहना चाहिए और दूसरी महिलाओं से अपनी समानता करनी छोड़ देनी चाहिए। अन्य क्षेत्रों में भी जहां आपने समानता करने में अपने को दूसरों से कम पाया है, इसी प्रकार अपने विचारों को बदल देना चाहिए।

 

क्रोध का कारण

– अन्य मनुष्यों के कार्य और क्रियाओं को उनके दृष्टिकोण से भी देखिए। किसी भी विषय पर केवल अपने ही दृष्टिकोण से विचार करने और दूसरों के विचारों की प्रशंसा न कर सकने के कारण ही क्रोध उत्पन्न होता है। दूसरे मनुष्यों को सुधारने अथवा बदलने की चेष्टा मत करिए। उपस्थित परिस्थितियों के अनुसार अपने कार्यों और योजनाओं को बदलने का संकल्प कर लीजिए। दूसरे मनुष्यों को अपनी इच्छानुसार बदलने की अपेक्षा स्वयं प्रस्तुत परिस्थिति के अनुसार अपनी योजनायें बदल दीजिए।

 

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परेशान एवं दुखी मत होइए

क्रोध से बचे रहने का मन में दृढ़ संकल्प कर लीजिए। शान्ति और प्रसन्नता अमूल्य वस्तुयें हैं। आप यदि एक बार भूखे भी रह जायं तो उसकी परवाह मत करिये और शान्त रहिए, किन्तु परेशान एवं दुखी मत होइए।

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