उनकी सेना पहली ऐसी थी जिसमें गुरिल्ला युद्ध का जमकर इस्तेमाल किया गया, जमीनी युद्ध में शिवाजी को महारत हासिल थी, जिसका फायदा उन्हें दुश्मनों से लड़ने में मिला, पेशेवर सेना तैयार करने वाले वो पहले शासक थे । धार्मिक हिंदू के साथ दूसरे धर्मों का भी सम्मान करते थे, संस्कृत और हिंदू राजनीतिक परंपराओं का विस्तार चाहते थे ।
शिवाजी ने 1657 तक मुगलों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध कायम रखे थे, यहां तक कि बीजापुर जीतने में शिवाजी ने औरंगजेब की मदद भी की लेकिन शर्त ये थी कि बीजापुर के गांव और किले मराठा साम्राज्य के तहत रहे. दोनों के बीच मार्च 1657 के बीच तल्खी शुरू हुई और दोनों के बीच ऐसी कई लड़ाईयां हुईं जिनका कोई हल नहीं निकला । शिवाजी को एक दयालु शासक के तौर पर भी याद किया जाता है ।