scriptविचार मंथन : सेवा-कार्य के लिए पूर्ण आत्मसमर्पण की आवश्यकता है- डॉ. प्रणव पंड्या | daily thought vichar manthan dr. pranav pandya | Patrika News

विचार मंथन : सेवा-कार्य के लिए पूर्ण आत्मसमर्पण की आवश्यकता है- डॉ. प्रणव पंड्या

locationभोपालPublished: Jan 15, 2019 06:01:28 pm

Submitted by:

Shyam

यदि दूसरों के विचार आपके विचारों से मुक्त हों तो उनसे लड़ाई-झगड़ा न करो- डॉ. प्रणव पंड्या

daily thought vichar manthan

विचार मंथन : सेवा-कार्य के लिए पूर्ण आत्मसमर्पण की आवश्यकता है- डॉ. प्रणव पंड्या

यदि दूसरों के विचार आपके विचारों से मुक्त हों तो उनसे लड़ाई-झगड़ा न करो । अनेक प्रकार के मन होते हैं । विचारने की शैली अनेक प्रकार की हुआ करती है । विचारने के भिन्न-भिन्न दृष्टिकोण हुआ करते हैं । अतएव सभी दृष्टिकोण निर्दोष हो सकते हैं। लोगों के मत के अनुकूल बनो । उनके मत को भी ध्यान तथा सहानुभूतिपूर्वक देखो और उनका आदर करो। अपने अहंकार चक्र के क्षुद्र केंद्र से बाहर निकलो और अपनी दृष्टि को विस्तृत करो । अपना मन सर्वग्राही और उदार बनाकर सबके मत के लिए स्थान रखो, तभी आपका जीवन विस्तृत और हृदय उदार होगा ।

 

आपको धीरे-धीरे, मधुर और नम्र होकर बातचीत करनी चाहिए, मितभाषी बनों । अवांछनीय विचारों और संवेदनाओं को निकाल दो। अभिमान या चिड़चिड़ेपन को लेशमात्र भी बाकी नहीं रहने दो । अपने आप को बिलकुल भुला दो । अपने व्यक्तित्व का एक भी अंश या भाव न रहने पावे । सेवा-कार्य के लिए पूर्ण आत्मसमर्पण की आवश्यकता है ।

 

यदि आप में उपर्युक्त सद्गुण मौजूद हैं तो आप संसार के लिए पथप्रदर्शक और अमूल्य प्रसाद रूप हो । आप एक अलौकिक सुगंधित पुष्प हो जिसकी सुगंध देश-भर में व्याप्त हो जाएगी। यदि आपने ऐसा कर लिया तो समझ लो आपने बुद्धत्व की उच्चतम अवस्था को प्राप्त कर लिया ।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो