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विचार मंथन : अपनी बुराई-भलाई के विषय में मत सोचा करिए- डॉ प्रणव पंड्या

locationभोपालPublished: Apr 04, 2019 06:46:56 pm

Submitted by:

Shyam Shyam Kishor

अपनी बुराई-भलाई के विषय में मत सोचा करिए- डॉ प्रणव पंड्या

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विचार मंथन : अपनी बुराई-भलाई के विषय में मत सोचा करिए- डॉ प्रणव पंड्या

दूसरे मनुष्यों से मेल बढ़ाइए और अपने विचार बदलिए
अपनी कमजोरियों को दूर कीजिये

अपनी बुराई-भलाई के विषय में मत सोचा करिए । मनुष्य यदि अपने ही कष्टों और कठिनाइयों पर सोचता रहे तो वह उदासी से किसी प्रकार भी नहीं बच सकता। अन्य मनुष्यों की इच्छाओं एवं आवश्यकताओं पर सोचिए । परिचित मनुष्यों के स्वभाव के विषय में लिख लीजिए । उनके अद्भुत आचरण और अवगुणों पर ध्यान दीजिए। यह मन बहलाने का बड़ा ही मनोरंजक ढंग है । यदि आप सच्चे मन से ऐसा करेंगे, तो आप अवश्य प्रफुल्लित दिखाई देंगे ।

घर पर अथवा आफिस में अकेले मत बैठिए । दूसरे मनुष्यों से मेल बढ़ाइए और अपने विचार बदलिए । बातें अधिक करिए, और सोचिए कम । आप पर जैसी भी बीते, उसी को सहर्ष स्वीकार कर लीजिये। अपनी असफलता, पराजय, एवं दुर्भाग्य पर अपना ध्यान मत जमाइये ।

मनुष्य जैसा कार्य करता है, वैसे ही उसके मन में भाव उठते हैं
मनुष्य जैसा कार्य करता है, वैसे ही उसके मन में भाव उठते हैं । अतः कार्य करते समय अत्यन्त प्रसन्न चित्त दिखाई दीजिये, मुस्कुराइये और प्रफुलित रहिये । यदि आप ऐसा करेंगे तो शीघ्र ही प्रसन्नता का अनुभव करेंगे । इसके विपरीत आप यदि झुककर, लड़खड़ाते हुए, नीचे की ओर आँखें किये, त्यौरियाँ चढ़ाए, उदास भाव से चलेंगे तो आप अवश्य उदास हो जाएंगे । इधर-उधर की छोटी-छोटी सी बातों से असन्तुष्ट होने की अपेक्षा अपने भाग्य को सराहिए और अपने आपको धन्य समझिए । इस सिद्धान्त पर सोचिए कि ‘इससे भी बुरा हो सकता था । जो कुछ आपके पास नहीं है, उस पर ध्यान देने की अपेक्षा जो कुछ आपके पास है, उस पर ध्यान दीजिए । आपको अधिकतर यही सोचना चाहिए कि ‘जो कुछ मेरे पास है, उसके लिए भगवान को अनेकों बार धन्यवाद है । हर पल भगवान को याद करते रहने से मन में प्रसन्नता बनी रहेगी ।

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