समय का पालन मानव-जीवन का सबसे महत्त्वपूर्ण संयम है । समय पर काम करने वालों के शरीर चुस्त, मन नीरोग तथा इन्द्रियां तेजस्वी बनी रहती हैं । निर्धारण के विपरीत काम करने से मन, बुद्धि तथा शरीर काम तो करते हैं किन्तु अनुत्साहपूर्वक । इससे कार्य में दक्षता तो नहीं ही आती है, साथ ही शक्तियों का भी क्षय होता है । किसी काम को करने के ठीक समय पर शरीर उसी काम के योग्य यन्त्र जैसा बन जाता है । ऐसे समय में यदि उससे दूसरा काम लिया जाता है, तो वह काम लकड़ी काटने वाली मशीन से कपड़े काटने जैसा ही होगा ।
क्रम एवं समय से न काम करने वालों का शरीर-यन्त्र अस्त-व्यस्त प्रयोग के कारण शीघ्र ही निर्बल हो जाता है और कुछ ही समय में वह किसी कार्य के योग्य नहीं रहता । समय-संयम सफलता की निश्चित कुन्जी है । इसे प्राप्त करना प्रत्येक बुद्धिमान का मानवीय कर्त्तव्य है ।