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विचार मंथन : क्या आप वाकई मनुष्य है- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

क्या आप वाकई मनुष्य है- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

भोपालFeb 26, 2019 / 05:45 pm

Shyam

daily thought vichar manthan

विचार मंथन : क्या आप वाकई मनुष्य है- पं. श्रीराम शर्मा आचार्य

आदमी बनो!

आपके जीवन में एक नहीं, अनेक बार ऐसे अवसर आये होंगे कि आपके साथ कोई पूरा आदमी हो और उसके विषय में किसी ने पूछा हो कि ‘आप की तारीफ?’ अर्थात् यह कौन है, तो आपने उत्तर दिया हो कि ‘आप अमुक फैक्टरी के मैनेजर हैं, अच्छे लेखक और वक्ता हैं अथवा डॉक्टर हैं, ग्रेजुएट हैं, गुजराती हैं, इत्यादि’ किन्तु किसी की तारीफ में आपने न तो कभी यह कहा होगा न कि किसी दूसरे के मुँह से सुना होगा, कि आप मनुष्य हैं । क्या हुआ यदि आपने किसी से पूछा हो-”आप कौन हैं?” तो किसी ने मजाक में कह ही दिया हो-”आदमी है ।”

 

आप ऐसा जवाब सुनकर या तो खीझ गये होंगे या हंस दिया होगा । हमारा ख्याल है कि आपने कभी यकीन नहीं किया होगा कि वे कहने वाले सचमुच आदमी हैं । दुनिया में चाहे आज झूठ का बोल बाला हो पर यदि कहीं कुछ झूठ नहीं कही जाती तो केवल यही कि किसी को आदमी कहने के विषय में आज भी बड़े संयम और सत्य से काम लिया जाता है । एक साहब राजपूत हैं और साथ ही राजस्थानी भी हैं, हिन्दुस्तानी भी हैं, गोरे हैं-प्रोफेसर हैं, तो भी हो सकता है कि वे आदमी न हों । एक बच्चा ठोकर खाकर गिर पड़ता है, पीछे आने वाली लकड़ी उस गिरे हुए बच्चे को खून में लथपथ देखकर भी छोड़कर चली जाती है । इसलिये न कि वह उसका कोई नहीं है ।

 

दिन दहाड़े एक भले आदमी को एक गुण्डा तंग कर रहा है, आप उसे क्यों नहीं बचाते । इसलिये कि आप उन दोनों से परिचित नहीं है या वे दोनों लड़ने वाले दूसरी कौम या मजहब के हैं। आप अपने बच्चे के लिये खिलौने लाये हैं, दूसरा एक बच्चा भी सामने खड़ा है, वह भी आपके बच्चे की तरह खिलौने के लिये लालायित है पर खिलौना आप उसे नहीं देते, इसलिये कि वह बच्चा आपका नहीं है, चाहे वह यह भेद न जानता हो । एक बेचारा रोगी दर्द से पीड़ित आपको कुर्सी के पास बैठा मुँह की तरफ देख रहा है आप उसे देखने से पहले सेठजी के कब्ज की शिकायत सुन रहे हैं । आप कैसे डॉक्टर हैं। उस दिन जो एक थका हुआ आदमी बिना पूछे आपकी सड़क पर पड़ी खाली चारपाई पर बैठ गया था तो आप उससे क्यों लड़ पड़े थे । इसलिये तो कि वह अनजान पंजाबी था यह आपकी रोज की आदतें हैं ।

 

आप इन बातों में कभी अपनी कमजोरी या गलती अनुभव नहीं करते, इसलिये कि आप अभ्यस्त हो गये हैं उन हाकिमों की तरह जो क्लर्कों से 10-11 घण्टे काम लेकर भी उन पर इसलिये नाराज हो उठते हैं कि वे काम नहीं करते । तब सोलह आना हमारी समझ में आ गया कि आप सचमुच आदमी न होकर कुछ और ही हैं । आप अपने जन्म की स्थिति को चाहे न जानते हों, परन्तु किसी बच्चे को जन्म के समय अवश्य देखा होगा। आप बताइये, वह उस समय क्या था बेदर्दी डॉक्टर या निर्दय अफसर या बेईमान वकील? क्या उस समय वह मुसलमान था । उसकी सुन्नत हुई थी? क्या वह हिन्दू था? क्या उस समय उसके चोटी या जनेऊ या तिलक था ?

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