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विचार मंथन : गृहस्थी हो या दोस्ती दोनों में तालमेल और आपसी विश्वास बहुत जरुरी है – संत कबीर

locationभोपालPublished: Sep 24, 2019 04:08:54 pm

Submitted by:

Shyam Shyam Kishor

Daily Thought Vichar Manthan : तकरार करना छोड़ो, एक-दुसरे की बात को समझो, आपसी विश्वास बनाओ

विचार मंथन : गृहस्थी हो या दोस्ती दोनों में तालमेल और आपसी विश्वास बहुत जरुरी है - संत कबीर

विचार मंथन : गृहस्थी हो या दोस्ती दोनों में तालमेल और आपसी विश्वास बहुत जरुरी है – संत कबीर

कबीर जी रोज सत्संग किया करते थे, लोग आते और चले जाते। एक आदमी सत्संग खत्म हो गया फिर भी बैठा रहा। कबीर जी बोले क्या बात है वो इन्सान बोला मैं तो काफी दूर से आया हूं मुझे आपसे कुछ पूछना है। क्या पूछना है? कबीर बोले।

 

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वो कहने लगा मैं गृहस्थी हूं मेरा घर में झगड़ा होता रहता है। उसके बारे में जानना चाहता हूं की झगड़ा कैसे दूर हो तो कबीर जी चुप रहे थोड़ी देर में कबीर जी ने अपनी पत्नी से कहा लालटेन जला के लाओ। कबीर की पत्नी लालटेन जला कर ले आई। कबीर जी के पास रख दी वो आदमी भी वही बैठा था सोच रहा था इतनी दोपहर है और लालटेन मांगा ली। खैर! मुझे इससे क्या।

 

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फिर कबीर जी बोले कुछ मीठा दे जाना, तों उनकी पत्नी नमकीन देकर चली गयी। उस आदमी ने फिर सोचा यह तो शायद पागलो का घर है मीठे के बदले नमकीन, दिन में लालटेन, वो आदमी बोला कबीर जी मैं चलता हूं। मन में सोचने लगा कहां फंस गया।

 

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कबीर जी समझ गए बोले आपको आपके झगड़े का हल मिला की नहीं। वो बोला क्या मिला? कुछ नहीं। कबीर जी ने कहा जैसे मैंने लालटेन मंगवाई घरवाली कह सकती थी की तुम क्या सठीया गए हो इतनी दोपहर में क्या करोगे। उसने सोचा होगा किसी काम के लिये लालटेन मंगवाई होगी। मीठा मंगवाया तो वह नमकीन देकर चली गयी, हो सकता है घर में मीठा न रहा हो पर मैं भी चुप रहा, इसमें तकरार क्या?

 

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तुम भी समझो, तकरार करना छोड़ो। एक-दुसरे की बात को समझो। आपसी विश्वास बनाओ। वो आदमी हैरान था यह सब इन्होंने मेरे लिये किया। उसको समझ आने लगी गृहस्थी हो या दोस्ती में तालमेल आपसी विश्वास बहुत जरुरी है। किसी से वैर व तकरार न रखो.. आवश्यक होने पर एक दूसरे की सहमति में इज़हार करो।

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