किसी देश की शांति छोटे विचारों के बड़े आदमियों से नहीं अपितु बड़े विचारों के छोटे आदमियों से बढ़ती है । वास्तविक शिक्षा का आदर्श यह है कि हम अपने भीतर से कितनी विद्या निकल सकते है, यह नहीं कि बाहर से कितनी भीतर डाल चुके है । वे मित्रताएं जहाँ दिल नहीं मिलते, बारूद से भी बदतर है बड़ी ऊँची आवाज से टूटती है । नियमों का निर्माण मनुष्य के लिए हुआ है, मनुष्य का निर्माण नियमों के लिए नहीं हुआ है । नहीं कहने से तुम्हारे चरित्र की शक्ति प्रकट होती है । सांसारिक बुद्धिमता केवल अज्ञान का बहाना है । अपने काम को चाँद, तारों और सूरज की तरह नि:स्वार्थ बनाओ, तभी सफलता मिलेगी, और बहुत देर तक बनी भी रहेगी ।
शाश्वतता का विचार ही विवेक है । सौन्दर्य आत्मदेव की भाषा है । विश्व राम का शरीर है । शरीर की जो रात है, आत्मा का वह दिन है । अपना आदर स्वयं करो तभी सब आपका आदर करेंगे । इच्छामात्र प्रेम है और प्रेम ही ईश्वर है और वही ईश्वर तुम हो । अपने प्रति सच्चे बनिये और संसार की ऐसी किसी भी बात पर ध्यान मत दीजिए । शब्दों की अपेक्षा कर्म अधिक जोर से बोलते है । उन विषयों को पढना जो हमारे जीवन में कभी काम नहीं आते, शिक्षा नहीं है । यदि कोई मुझे अपना दर्शन एक शब्द में प्रकट करने की आज्ञा दे तो मैं कहूँगा -‘आत्मविश्वास’ । यह नहीं हो सकता की तुम दुनिया के भी मजे लो और सत्य को भी पालो ।