वहीं पास में खड़े एक वृद्ध सन्यासी ये सब कुछ देख रहे थे, उन्होंने जोर की आवाज लगाते हुए स्वामी विवेकानंद जी को रोका और कहा – रुको ! डरो मत, उनका सामना करो और फिर देखो क्या होता है । वृद्ध सन्यासी की बात सुनकर स्वामी जी तुरंत पलटे और बंदरों के तरफ बढऩे लगे । उनके आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा जब स्वामी जी के ऐसा करते ही सभी बन्दर तुरंत भाग गए । स्वामी विवेकानंद जी ने वृद्ध सन्यासी को इस सलाह के लिए बहुत धन्यवाद किया ।
इस घटना से स्वामी विवेकानंद जी को एक गंभीर सीख मिली और कई सालों बाद उन्होंने एक संबोधन में इसका जिक्र भी किया और कहा – यदि तुम कभी किसी चीज से भयभीत हो, तो उससे भागो मत, पलटो और सामना करो । वाकई, यदि हम भी अपने जीवन में आई समस्याओं का सामना करें और उससे भागें नहीं तो बहुत सी समस्याओं का समाधान तो स्वतः ही हो जायेगा ।