scriptविचार मंथन : इस संसार में चार प्रकार के लोग होते हैं, इनमें से आप कौन से वाले हैं- स्वामी विवेकानंद | Daily Thought Vichar Manthan : Swami Vivekananda | Patrika News
धर्म और अध्यात्म

विचार मंथन : इस संसार में चार प्रकार के लोग होते हैं, इनमें से आप कौन से वाले हैं- स्वामी विवेकानंद

Daily Thought Vichar Manthan : दुनियां के सभी लोगों को सच्चा आचरणशील आस्तिक बनना चाहिए, जिससे सभी का वर्तमान जीवन भी अच्छा बने और भविष्य भी स्वर्णिम हो, सुखदायक हो- स्वामी विवेकानंद

Sep 16, 2019 / 05:39 pm

Shyam

विचार मंथन : इस संसार में चार प्रकार के लोग होते हैं, इनमें से आप कौन से वाले हैं- स्वामी विवेकानंद

विचार मंथन : इस संसार में चार प्रकार के लोग होते हैं, इनमें से आप कौन से वाले हैं- स्वामी विवेकानंद

एक बार स्वामी विवेकानंद जी अपने शिष्यों एवं सहयोगी मित्रों की टोली में बैठे थे तभी एक शिष्य ने स्वामी जी से पूजा- इस संसार में कुल कितने तरह के लोग होते हैं एवं उनकी पहचान कैसे की जा सके? कृपया स्पष्ट रूप से समझाने की कृपा करें। जवाब में स्वामी विवेकानंद बोले- इस नश्वर संसार में कुल चार प्रकार लोग होते है-

2- दूसरे वे लोग है जो आस्तिक तो हैं, ईश्वर को मानते भी हैं, परंतु ईश्वर का स्वरूप ठीक नहीं समझते। वे वृक्षों में, मूर्तियों में, फोटो में और पता नहीं कहां-कहां ईश्वर की पूजा करते रहते हैं।

3- तीसरे वे लोग हैं जो ईश्वर को शब्दों से तो ठीक जानते मानते हैं, परंतु उसके अनुसार आचरण नहीं कर पाते। जैसे कि वे कहते हैं, ईश्वर न्यायकारी है, हमारे पापों का दंड माफ नहीं करेगा। फिर भी वो जानते हुए कहीं ना कहीं पाप कर ही लेते हैं।

4- चौथे प्रकार के वे लोग हैं, जो ईश्वर को ठीक तरह से जानते भी हैं, मानते भी हैं, और आचरण भी वैसा ही करते हैं। अर्थात वे पाप नहीं करते। सबसे प्रेम का व्यवहार करते हैं।

 

विचार मंथन : जब कोई रास्ता, समाधान नजर नहीं आएं और लगे, सब ख़त्म होने वाला है तब जोर-जोर से कहिये– यह भी कट जाएगा- प्रज्ञा पुराण

आगे स्वामी जी बोले सच्चे पूर्ण आस्तिक तो यही हैं, चौथे वाले लोग है। यदि आप पहले वर्ग में हैं, अर्थात नास्तिक हैं, तो भी आप ईश्वर से लाभ नहीं उठा पाएंगे। यदि आप दूसरे वर्ग में हैं, तो भी आप भटकते रहेंगे। आपके पाप नहीं छूटेंगे। और ईश्वर से लाभ नहीं ले पाएंगे। यदि आप तीसरे वर्ग में हैं, तो भी पाप बंद नहीं होंगे, क्योंकि आपका शाब्दिक ज्ञान ठीक होते हुए भी आचरण ठीक नहीं है, और आपको उसका दंड भोगना पड़ेगा।

 

विचार मंथन : कर्मयोगी निरन्तर निःस्वार्थ सेवा से अपना चित्त शुद्ध कर लेता है और केवल कार्य करते रहता है : स्वामी शिवानन्द महाराज


इसलिए मैं तुम सबसे कहता हूं की तुम सबकों चौथे वर्ग में ही आना चाहिए, और नहीं आएं है तो प्रयत्न करों, एक दिन तुम्हारी गिनती चौथे वर्ग में होने लगेगी। दुनियां के सभी लोगों को सच्चा आचरणशील आस्तिक बनना चाहिए। जिससे सभी का वर्तमान जीवन भी अच्छा बने और भविष्य भी स्वर्णिम हो, सुखदायक हो।

***********

Hindi News / Astrology and Spirituality / Religion and Spirituality / विचार मंथन : इस संसार में चार प्रकार के लोग होते हैं, इनमें से आप कौन से वाले हैं- स्वामी विवेकानंद

ट्रेंडिंग वीडियो