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जीवन में ‘लाभ’ पाना है तो ‘भला’ करना तुरंत शुरू कर दो : तरुण सागर

locationभोपालPublished: Feb 29, 2020 04:51:37 pm

Submitted by:

Shyam

जीवन में ‘लाभ’ पाना है तो ‘भला’ करना तुरंत शुरू कर दो : तरुण सागर

जीवन में लाभ पाना है तो भला करना तुरंत शुरू कर दो : तरुण सागर

जीवन में लाभ पाना है तो भला करना तुरंत शुरू कर दो : तरुण सागर

जिंदगी में माँ, महात्मा और परमात्मा से बढ़कर कुछ भी नहीं है, जीवन में तीन आशीर्वाद जरुरी है- बचपन में माँ का, जवानी में महात्मा का और बुढ़ापे में परमात्मा का, माँ बचपन को संभाल देती है, महात्मा जवानी सुधार देता हैं और बुढ़ापे को परमात्मा संभाल लेता है। खिल सको तो फुल की तरह खिलो, जल सको तो दीप की तरह जलो, मिल सको तो दूध में पानी की तरह मिलो, ऐसी ही जीवन की नीति हो, रीती हो और प्रीति हो।

शान्त विचार धीरे-धीरे हमारे मन को ही बदल देते हैं : आचार्य श्रीराम शर्मा

सुंदर रूप वाला, यौवन से युक्त ऊचें कुल में उत्पन्न होने पर भी विद्या से हिन् मनुष्य सुगंध रहित फुल के समान रहता है। रेस में जितने वाले घोड़े को तो पता भी नहीं होता की जीत वास्तव में क्या है, वह तो अपने मालिक द्वारा दी गई तकलीफ की वजह से दौड़ता है। तो जीवन में जब भी आपको तकलीफ हो और कोई मार्ग न दिखाई दे तब समझ जाईयेगा की मालिक आपको जितना चाहता है। जीवन में शांति पाने के लिए क्रोध पर काबू पाना सिख लो, जिसने जीवन से समझौता करना सिख लिया वह संत हो गया, वर्तमान में जीने के लिए सजग और सावधान रहने की आवश्यकता है।

बड़प्पन की बात निर्माण है, विनाश नहीं : भगवान बुद्ध

धनाढ्य होने के बाद भी यदि लालच और पैसों का मोह बना है, तो उससे बड़ा गरीब और कोई नहीं हो सकता। प्रत्येक व्यक्ति ’लाभ’ की कामना करता है लेकिन उसका विपरीत शब्द अर्थात ‘भला’ करने से दूर भागता है। गुलाब काटों में भी मुस्कुराता है, तुम भी प्रतिकूलता में मुस्कुराओ, तो लोग तुमसे गुलाब की तरह प्रेम करेंगे। याद रखना जिन्दा आदमी ही मुस्कुराएगा, मुर्दा कभी नहीं मुस्कुराता और कुत्ता चाहे तो भी मुस्कुरा नहीं सकता, हंसना तो सिर्फ मनुष्य के भाग्य में ही है। इसलिए जीवन में सुख आये तो हस लेना, लेकिन दुख आये तो हसी में उड़ा देना।

जो मनुष्य संसार की सेवा करता है वह अपनी ही सेवा करता है : रामकृष्ण परमहंस

धन का अहंकार रखने वाले हमेशा इस बात का ध्यान रखें की पैसा कुछ भी हो सकता है, बहोत कुछ हो सकता है, लेकिन सबकुछ नहीं हो सकता हार आदमी को धन की अहमियत समझना बहोत जरुरी है। कभी तुम्हारे माँ – बाप तुम्हें डाट दे तो बुरा नहीं मानना, बल्कि सोचना – गलती होने पर माँ–बाप नहीं डाटेंगे तो और कौन डाटेंगे और कभी छोटे से गलती हो जाये और यह सोचकर उन्हें माफ़ कर देना की गलतिया छोटे नहीं करेंगे तो और कौन करेंगा। गुलामी की जंजीरों से स्वतंत्रता की शान अच्छी, हजारों रूपये की नौकरी से चाय की दुकान अच्छी ।

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