scriptविचार मंथन : तुम्हारी वजह से जीते जी किसी की आंखों में आंसू आए तो यह सबसे बड़ा पाप है- तरूण सागर जी | Daily Thought Vichar Manthan tarun sagar ji maharaj | Patrika News

विचार मंथन : तुम्हारी वजह से जीते जी किसी की आंखों में आंसू आए तो यह सबसे बड़ा पाप है- तरूण सागर जी

locationभोपालPublished: Oct 22, 2018 03:38:13 pm

Submitted by:

Shyam

तुम्हारी वजह से जीते जी किसी की आंखों में आंसू आए तो यह सबसे बड़ा पाप है- तरूण सागर जी

Daily Thought Vichar Manthan

विचार मंथन : तुम्हारी वजह से जीते जी किसी की आंखों में आंसू आए तो यह सबसे बड़ा पाप है- तरूण सागर जी

हंसते मनुष्य हैं कुत्ते नहीं- अर्थात हंसने का गुण सिर्फ मनुष्यों को प्राप्त है इसलिए जब भी मौका मिले जी खोल कर मुस्कुराइए । कुत्ते चाहकर भी नहीं मुस्कुरा सकते हैं । किसी को बदल नहीं सकते हैं- परिवार में आप किसी को बदल नहीं सकते हैं लेकिन आप अपने आप को बदल सकते हैं, आप पर ही आपका पूरा अधिकार है । जिनकी बेटी ना हो उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए और जिस घर में बेटी ना हो वहां शादी ही नहीं करनी चाहिए । जिस घर में बेटी ना हो उस घर से साधु-संतों को भिक्षा भी नहीं लेनी चाहिए ।

 

राजनीति और धर्म पति-पत्नी- राजनीति को धर्म से ही हम कंट्रोल करते हैं । अगर धर्म पति है तो राजनीति पत्नी । जिस तरह अपनी पत्नी को सुरक्षा देना हर पति का कर्तव्य होता है वैसे ही हर पत्नी का धर्म होता है कि वो पति के अनुशासन को स्वीकार करे । ठीक ऐसा ही राजनीति और धर्म के बीच होना चाहिए। क्योंकि बिना अंकुश के हर कोई बेलगाम हाथी की तरह होता है । जीवन का सार- पूरी दुनिया को आप चमड़े से नहीं ढ़क सकते हैं लेकिन चमड़े के जूते पहन कर चलेंगे तो दुनिया आपके जूतों से ढक जाएगी । यही जीवन का सार है ।

 

आपके नोट नहीं खोट चाहिए- मैं आपकी गलत धारणाओं पर बुलडोजर चलाऊंगा । आज का आदमी बच्चों को कम, गलत धारणाओं को ज्यादा पालता है । इसलिए वह खुश नहीं है । इसलिए मुझे आपके नोट नहीं, आपके खोट चाहिए । दुनिया को धन से मतलब- इस मतलबी दुनिया को ध्यान से नहीं, धन से मतलब है । भजन से नहीं, भोजन से व सत्संग से नहीं, राग-रंग से मतलब है । सभी पूछते हैं कि घर, परिवार व व्यापार कितना है। कोई नहीं पूछता कि भगवान से कितना प्यार है ।

 

नेताओं में और महिलाओं में एक समानता- नेता व महिलाओं में एक समानता है प्रसव की । महिला के लिए नौ माह व नेताओं के लिए पांच साल का प्रसव वर्ष होता है । कोई गर्भवती महिला आठ माह अपने परिवार का ख्याल रखती है और नौवें महीने परिवार महिला का ख्याल रखता है । नेता ठीक इसके विपरीत होते हैं। जनता चार साल तक नेताओं का ख्याल रखती है और नेता चुनाव आते समय एक साल जनता का ख्याल रखता है । महिला जिसे जनती है, उसे अपने गोद में बिठाती है । इसके विपरीत नेता कुर्सी में बैठकर बड़ा बनता है ।


दूसरों के द्वारा की गई प्रार्थना किसी काम की नहीं- तुम्हारी वजह से जीते जी किसी की आंखों में आंसू आए तो यह सबसे बड़ा पाप है । लोग मरने के बाद तुम्हारे लिए रोए, यह सबसे बड़ा पुण्य है। इसीलिए जिंदगी में ऐसे काम करो कि, मरने के बाद तुम्हारी आत्मा की शांति के लिए किसी और को प्रार्थना नहीं करनी पड़े । क्योंकि दूसरों के द्वारा की गई प्रार्थना किसी काम की नहीं है ।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो