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धनतेरस पर कुबेर की कृपा से ऐसे हो जाएं धन्य

locationजयपुरPublished: Nov 05, 2018 04:14:09 pm

Submitted by:

Hemant Pandey

भगवान धन्वन्तरि की मूर्ति या चित्र को पूर्व दिशा में स्थापित करके निम्न मंत्र से उनका आह्वान करना लाभकारी माना जाता है।

 

हिन्दू संस्कृति में धनतेरस सुख, समृद्धि और वैभव का पर्व माना जाता है। दीपावली से दो दिन पहले धनतेरस के दिन आयुर्वेद के देवता धन्वन्तरि की पूजा के साथ ही धन के देवता कुबेर व देवी लक्ष्मी व यमराज की भी पूजा की जाती है। यह पर्व कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष धनतेरस 05 नवंबर (मंगलवार) को मनाया जा रहा है। धनतेरस पर्व का संबंध विशेषत: भगवान धन्वन्तरि से है। दिवाली के दीपक जलाने के लिए पांच पर्व होते हैं। इसमें धनतेरस के साथ चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और भइया दूज। इनमें सबसे पहले धनतेरस ही आता है। धनतेरस पर दीपक रखने से पूर्व खील या चावल रखकर उसके ऊपर दीपक जलाते हैं। मान्यता है कि लक्ष्मीजी के आह्वान से पहले मृत्यु के देवता यमराज को प्रसन्न करने के लिए यह पूजा आवश्यक होती है। धन के देवता कुबेर को आसुरी शक्तियों का हरण करने वाला देवता भी माना जाता है। धन्वन्तरि और माता लक्ष्मी, इन दोनों का अवतरण समुद्र मंथन के समय हुआ और ये दोनों ही हाथ में कलश लेकर अवतरित हुए थे। जहां द्वेव और क्रोध की भावना होती है वहां वास्तविक लक्ष्मी की प्राप्ति में बाधा उत्पन्न होती है।

‘सत्यं च येन निरतं रोगं विद्युतं, अन्वेषित च सविधिं अरोग्यमस्य।
गूढं निगूढं औषध्यरूपं, धनवन्तरिं च सततं प्रणमामि नित्यम्।।


इसके बाद पूजा स्थल पर जल छोड़ें, भगवान धन्वन्तरि की मूर्ति पर रोली, चावल, गुलाब के पुष्पादि चढ़ाएं। चांदी के पात्र में खीर का भोग लगाने के बाद पुन: जल छोड़ें। धन्वन्तरि को पान, लांैग, सुपारी, मौली, श्रीफल व दक्षिणा चढ़ाकर प्रणाम करें।

कुबेर की पूजा
धनतेरस के दिन सायं काल को कुबेर यंत्र स्थापित करके भगवान कुबेर की पूजा के लिए उन पर गंगाजल को छिड़ककर तिलक करें, पुष्प चढ़ाएं, दीपक जलाएं, भोग लगाएं व निम्न मंत्र का जाप करें। ‘यक्षाय कुबेराय वैवणाय धन-धान्य अधिपत्ये, धनधान्यसमृद्धि मे देहि देहि दापय दापय स्वाहा।’

लक्ष्मी पूजन
घनतेरस के दिन लक्ष्मीजी की मूर्ति या चित्र के सामने लाल वस्त्र बिछाकर उसपर दक्षिण की ओर मुंह करते हुए शंख रखें। शंख पर केसर से स्वास्तिक बनाकर कुमकुम से तिलक करें।
लक्ष्मीजी पर गंगाजल छिड़ककर तिलक करें व चावल, गुलाब, धूप-दीप से पूजा करें। इनको चांदी के पात्र से भोग लगाएं व निम्न मंत्र की एक या सात माला का जाप करें। इनको प्रणाम करघर में स्थिर होने की प्रार्थना करें।
‘ऊं हृीं हृीं हृीं महालक्ष्मी धनदा लक्ष्मी कुबेराय मम गृहे स्थिरो हृीं ऊं नम:।।’
इस मंत्र का स्फटिक की माला से जाप कर लेने के बाद शंख को लाल वस्त्र में लपेट कर रख दें। घर में इस शंख के द्वारा उन्नति होती है। आर्थिक उन्नति के लिए ‘ऊं श्री महालक्ष्म्यै नम:’ मंत्र की 11 माला का जाप करें।

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