इसके बाद पूजा स्थल पर जल छोड़ें, भगवान धन्वन्तरि की मूर्ति पर रोली, चावल, गुलाब के पुष्पादि चढ़ाएं। चांदी के पात्र में खीर का भोग लगाने के बाद पुन: जल छोड़ें। धन्वन्तरि को पान, लांैग, सुपारी, मौली, श्रीफल व दक्षिणा चढ़ाकर प्रणाम करें।
कुबेर की पूजा
धनतेरस के दिन सायं काल को कुबेर यंत्र स्थापित करके भगवान कुबेर की पूजा के लिए उन पर गंगाजल को छिड़ककर तिलक करें, पुष्प चढ़ाएं, दीपक जलाएं, भोग लगाएं व निम्न मंत्र का जाप करें। ‘यक्षाय कुबेराय वैवणाय धन-धान्य अधिपत्ये, धनधान्यसमृद्धि मे देहि देहि दापय दापय स्वाहा।’
लक्ष्मी पूजन
घनतेरस के दिन लक्ष्मीजी की मूर्ति या चित्र के सामने लाल वस्त्र बिछाकर उसपर दक्षिण की ओर मुंह करते हुए शंख रखें। शंख पर केसर से स्वास्तिक बनाकर कुमकुम से तिलक करें।
लक्ष्मीजी पर गंगाजल छिड़ककर तिलक करें व चावल, गुलाब, धूप-दीप से पूजा करें। इनको चांदी के पात्र से भोग लगाएं व निम्न मंत्र की एक या सात माला का जाप करें। इनको प्रणाम करघर में स्थिर होने की प्रार्थना करें।
‘ऊं हृीं हृीं हृीं महालक्ष्मी धनदा लक्ष्मी कुबेराय मम गृहे स्थिरो हृीं ऊं नम:।।’
इस मंत्र का स्फटिक की माला से जाप कर लेने के बाद शंख को लाल वस्त्र में लपेट कर रख दें। घर में इस शंख के द्वारा उन्नति होती है। आर्थिक उन्नति के लिए ‘ऊं श्री महालक्ष्म्यै नम:’ मंत्र की 11 माला का जाप करें।