आगरा। जब जेल में कान्हा का जन्म हुआ, उस समय भाद्रपद की अष्टमी थी और रोहिणी नक्षत्र था। तब से आज तक हर वर्ष भाद्रपद की अष्टमी को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। ऐसे में अष्टमी के साथ रोहिणी नक्षत्र का मेल बेहद शुभ माना जाता है। लेकिन इस बार दो दिन अष्टमी और तीसरे दिन रोहिणी नक्षत्र होने के कारण जन्माष्टमी तीन दिनों तक मनाई जाएगी।
ज्योतिषाचार्य डॉ. अरबिंद मिश्र के अनुसार 14 अगस्त को अष्टमी शाम 7.46 बजे से शुरू होकर दूसरे दिन शाम 5.40 बजे तक रहेगी। 15 अगस्त को शाम 5.40 बजे अष्टमी समाप्त होकर नवमी शुरू हो जाएगी। वहीं रोहिणी नक्षत्र 15 अगस्त की रात्रि 2.32 बजे से शुरू होकर 16 अगस्त रात 12.50 मिनट तक रहेगा। ऐसे में यदि आप 14 या 15 अगस्त को त्योहार मनाते हैं तो रोहिणी नक्षत्र नहीं रहेगा वहीं रोहिणी नक्षत्र में व्रत रखेंगे तो उस दिन अष्टमी नहीें होगी।
क्या करें: डॉ. अरबिंद मिश्र के मुताबिक वैसे तो भगवान सिर्फ भाव के भूखे होते हैं इसलिए श्रद्धानुसार आप किसी भी दिन व्रत रखकर जन्माष्टमी मना सकते हैं, लेकिन यदि आप हिंदू पंचांग के अनुसार चलना चाहते हैं तो 15 अगस्त को मनाना ज्यादा बेहतर होगा क्योेंकि 15 अगस्त की जन्माष्टमी उदया तिथि में है। हालांकि 15 अगस्त की रात को 12 बजे जब कान्हा का जन्म कराया जाएगा तब नवमी लग चुकी होगी लेकिन उदया तिथि की अष्टमी के कारण उस दिन व्रत रखने का विशेष महत्व होगा। वहीं अष्टमी का असर समाप्त होने के बाद भी देर रात तक रहेगा।
बाजार में लड्डू गोपाल की बढ़ी डिमांड
कान्हा के जन्म की तैयारियों से बाजार भी सज गए हैं। जगह—जगह मेवा, मिष्ठान की दुकानें सजी हैं। वहीं लड्डू गोपाल की छोटी—छोटी पीतल की प्रतिमा, झूले और ड्रेस, मुकुट आदि साज सज्जा के सामान की दुकानें भी बाजार में सज गई हैं। दुकानदारों का कहना है कि इन दिनों लड्डू गोपाल की प्रतिमा और उनके पालने की ज्यादा डिमांड है।
कान्हा के जन्म की तैयारियों से बाजार भी सज गए हैं। जगह—जगह मेवा, मिष्ठान की दुकानें सजी हैं। वहीं लड्डू गोपाल की छोटी—छोटी पीतल की प्रतिमा, झूले और ड्रेस, मुकुट आदि साज सज्जा के सामान की दुकानें भी बाजार में सज गई हैं। दुकानदारों का कहना है कि इन दिनों लड्डू गोपाल की प्रतिमा और उनके पालने की ज्यादा डिमांड है।