बता दें कि ये गुंडिचा घर उड़ीसा राज्य के पुरी शहर में स्थित है। इस स्थान के बारे में लोगों की मान्यता है कि ये स्थान भगवान जगन्नाथ की चाची गुंडिचा को समर्पित है। रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के साथ गुंडिचा घर आते हैं और करीब नौ दिनों तक यहां ठहरते हैं।
यहां परंपरागत पूजा की जाती है, जिसे पादोपीठा कहा जाता है इसका अर्थ ये है कि गुंडिचा चाची भगवान जगन्नाथ को पादोपीठा खिलाकर उनका आदर-सत्कार करती है। पुरी के महत्वपूर्ण दर्शनीय स्थलों में ये मंदिर अपना अहम स्थान रखता है और ये धार्मिक स्थल कई अलौकिक शक्तियों से लैस है।
रथयात्रा के पावन पर्व पर जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की मूर्तियों को सिंहासन पर बैठाया जाता है तदोपरांत उनका विधिपूर्वक आराधना किया जाता है। रथयात्रा के दौरान यहां लाखों की तादात में भक्त एकत्रित होते हैं और भगवान की पूजा में शामिल होते हैं।
बात अगर मंदिर के बनावट के बारे में की जाएं तो एक शब्द में ये अभूतपूर्व है। यहां कलिंग वास्तुकला का बेहद खूबसूरत नमूना देखने को मिलता है। इस स्थान को भगवान जगन्नाथ का जन्मस्थल भी माना जाता है।
बता दें कि इस स्थान पर राजा इन्द्रध्युम्न ने अश्वमेध यज्ञ किया था और उनकी महारानी के गुंडिचा के नाम पर ही ये मंदिर है। इस स्थान पर किसी राजा ने एक हजार अश्वमेध यज्ञ किए थे। इस मंदिर की ऊंचाई 75 फीट है और इसे हल्के भूरे रंग के बलुआ पत्थरों से निर्मित किया गया है। एक बहुत ही खूबसूरत उद्यान के बीच में ये मंदिर स्थित है।