scriptआज का ज्ञान: सही नहीं है अति | Motivation story: extreemist have to face their own errors | Patrika News

आज का ज्ञान: सही नहीं है अति

Published: May 11, 2015 10:24:00 am

एक दिन एक व्यक्ति
अपनी पत्नी के साथ आया और पत्नी के आलस्य और कंजूसी की निंदा करने लगा

Chinese monk in meditation

Chinese monk in meditation

एक दार्शनिक के पास रोज बहुत लोग परामर्श लेने आते थे। लोग अपनी पारिवारिक उलझनें बताते और उनका समाधान पूछते। एक दिन एक व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ आया और पत्नी के आलस्य और कंजूसी की निंदा करने लगा। दार्शनिक ने उस महिला को स्नेहपूर्वक अपने पास बुलाया। फिर उन्होंने अपने एक हाथ की मुठ्ठी बांधकर उसके सामने की और पूछा, “अगर यह हमेशा ऎसी ही रहे तो क्या होगा?”

महिला बोली कि अगर यह हाथ हमेशा ऎसा ही रहेगा तो वह अकड़कर निकम्मा हो जाएगा। उस महिला का जवाब सुन दार्शनिक ने हाथ खोलकर उसके आगे किया और पूछा, “अगर यह हमेशा ऎसा रहे तो क्या होगा?” वह औरत बोली, “तब भी यह अकड़कर बेकार हो जाएगा।” दार्शनिक ने लोगों से कहा कि यह महिला बुद्धिमान भी है और दूरदर्शी भी। यह अच्छी तरह जानती है कि मुठ्ठी बंद रखने और हाथ खुला रखने में क्या हानि है?

फिर वे उस महिला से बोले, “तुम तो खुद सब कुछ समझती हो। इस समझ का प्रयोग दैनिक जीवन में भी करो। किसी भी चीज की अति अच्छी नहीं। न हाथ खुला अच्छा है और न ही बंद। इन दोनों मे संतुलन रखकर चलो। न तो लापरवाही से धन खर्च करो न ही कंजूसी से। तब तुम सरलता से जीवनयापन कर सकोगी। दार्शनिक की बातों में छिपा हुआ संदेश उस महिला को पूरी तरह समझ में आ गया था।

मंत्र : अपने व्यवहार को संतुलित रखें।
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