एक बार एक किसान की घड़ी कहीं खो गई। उसने खुद भी घड़ी खोजने का बहुत प्रयास किया, लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी घड़ी नहीं मिली। उसने निश्चय किया कि वो इस काम में बच्चों की मदद लेगा। उसने सब बच्चों से कहा कि तुममे से जो कोई भी मेरी खोई घड़ी खोज देगा उसे मैं उसे सौ रुपए इनाम दूंगा। घंटों बीत जाने पर भी घड़ी नहीं मिली। तभी एक बच्चा उसके पास आया और बोला,‘काका मुझे एक मौका और दीजिए पर इस बार मैं ये काम अकेले ही करना चाहूंगा।’ बच्चा एक-एक कर के घर के कमरों में जाने लगा। जब वह किसान के शयन कक्ष से निकला तो घड़ी उसके हाथ में थी। किसान घड़ी देख प्रसन्न हो गया और अचरज से पूछा, बेटा कहां थी यह घड़ी?
बच्चा बोला, मैंने कुछ नहीं किया बस मैं कमरे में गया और चुपचाप बैठ गया और घड़ी की आवाज पर ध्यान केन्द्रित करने लगा। कमरे में शांति होने के कारण मुझे घड़ी की टिक-टिक सुनाई दे गई, जिससे मैंने उसकी दिशा का अंदाजा लगा लिया और घड़ी खोज निकाली। जिस तरह कमरे की शांति घड़ी ढूढऩे में मददगार साबित हुई उसी प्रकार मन की शांति हमें जरूरी चीजें समझने में मददगार होती है। हर दिन हमें अपने लिए थोड़ा समय निकालना चाहिए।