प्रेरक प्रसंग: नर सेवा ही ईश्वर सेवा
Published: Jun 09, 2015 10:23:00 am
एक बार गुरू नानक देव जी जगत का
उद्धार करते हुए एक गांव की झोपड़ी में पहुंचे, जहां एक कुष्ठ रोगी रहता था
guru nanak dev ji bhai mardana
एक बार गुरू नानक देव जी जगत का उद्धार करते हुए एक गांव की झोपड़ी में पहुंचे, जहां एक कुष्ठ रोगी रहता था। गांव के सब लोग उससे नफरत करते। कोई उसके पास नहीं आता था। नानक देव उसके पास गए और कहा, “भाई हम आज रात तेरी झोपड़ी में रहना चाहते हैं। अगर तुम्हे कोई परेशानी ना हो। कोढ़ी हैरान रह गया क्योंकि उसके पास तो कोई भी नहीं आता था।
नानक देव जी ने मरदाना को कहा, “रबाब बजाओ, कीर्तन करो”। कीर्तन समाप्त होने पर कोढ़ी के हाथ जुड़ गए जो ठीक से हिलते भी नहीं थे। उसनेे नानक देव को माथा टेका।
नानक देव ने पूछा कि तुमने गांव के बाहर झोपड़ी क्यों बनाई है? कोढ़ी ने कहा, “मैं बहुत बदकिस्मत हूं, मुझे कुष्ठ रोग हो गया है। मुझसे कोई बात तक नहीं करता, यहां तक कि मेरे घर वालों ने भी मुझे घर से निकाल दिया है। मैं नीच हूं इसलिए कोई मेरे पास नहीं आता।
नानक देव जी ने कहा, “नीच तो वो लोग हैं, जिन्होंने तुम जैसे रोगी पर दया नहीं की और अकेला छोड़ दिया। आ मेरे पास मैं भी तो देखूं कहां है तुझे कोढ़? जैसे ही कोढ़ी नानक देव जी के नजदीक आया तो प्रभु की ऎसी कृपा हुई कि कोढ़ी बिल्कुल ठीक हो गया। यह देख वह नानक देव जी के चरणों में गिर गया!
गुरू नानक देव जी ने उसे उठाया और गले से लगा कर कहा कि प्रभु का स्मरण करो और लोगों की सेवा करो। नर सेवा ही ईश्वर की सच्ची सेवा है।