scriptइस शाही परिवार पर है एक रानी का शाप, 400 साल से नहीं हुई संतान | Mysore Royal clan has curse, know the real story | Patrika News

इस शाही परिवार पर है एक रानी का शाप, 400 साल से नहीं हुई संतान

Published: Jun 27, 2016 04:18:00 pm

मैसूर के महाराज के वंश को एक शाप मिला हुआ है जिसके चलते उनके वंश में 400 साल से कोई उत्तराधिकारी संतान पैदा नहीं हुई

vadiyar vansh

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इन दिनों मैसूर के महाराज यदुवीर कृष्णदत्त चामराज वडियार तथा डूंगरपुर की राजकुमारी त्रिशिका कुमारी सिंह के विवाह की काफी चर्चा है। परन्तु आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि मैसूर के महाराज के वंश को एक शाप मिला हुआ है जिसके चलते उनके वंश में 400 साल से कोई संतान पैदा नहीं हुई। स्वयं महाराज के पिता दिवंगत महाराज श्रीकांतदत्त नरसिम्हराज वाडियार और रानी प्रमोदा देवी की अपनी कोई संतान नहीं थी। इसलिए रानी प्रमोदा देवी ने अपने पति की बड़ी बहन के बेटे यदुवीर को गोद लिया और वाडियार राजघराने का वारिस बना दिया।

यह है कहानी
मैसूर राजघराने के इस शाप की कहानी 1612 में दक्षिणी भारत के सबसे शक्तिशाली साम्राज्य विजयनगर के पतन से जुड़ी हुई है। साम्राज्य के पतन के बाद वाडियार राजा के आदेश पर विजयनगर की अकूत धन संपत्ति लूटी गई थी। उस समय विजयनगर की तत्कालीन महारानी अलमेलम्मा हार के बाद एकांतवास में थीं। वाडियार ने महारानी के खजाने पर कब्जा करने के लिए शाही फौज भेजी।

शाही फौज के आने से दुखी महारानी अलमेलम्मा ने वाडियार राजा को शाप दिया कि जिस तरह तुम लोगों ने मेरा घर ऊजाड़ा है उसी तरह तुम्हारा देश वीरान हो जाए। इस वंश के राजा-रानी की गोद हमेशा सूनी रहे। इसके बाद अलमेलम्मा ने कावेरी नदी में छलांग लगाकर आत्महत्या कर ली।

राजा को शाप का पता चलने पर वह काफी दुखी हुए परन्तु तब कुछ भी नहीं हो सकता था। तब से आज तक लगभग 400 सालों से वाडियार राजवंश में किसी भी राजा को संतान के तौर पर पुत्र नहीं हुआ। इस वंश के सभी राजा अपने किसी रिश्तेदार के बच्चे को गोद लेते हैं और उसे ही अपना उत्तराधिकारी बनाते हैं। यानी राज परंपरा आगे बढ़ाने के लिए राजा-रानी 400 सालों से परिवार के किसी दूसरे सदस्य के पुत्र को गोद लेते आए हैं।

केवल इसी वंश पर है यह शाप

विजयनगर साम्राज्य पर 18वीं सदी में कुछ समय के लिए हैदर अली तथा उसके बेटे टीपू सुल्तान का भी राज रहा था परन्तु रानी के शाप ने उन पर असर नहीं दिखाया। यहां तक की आजादी के बाद जबकि विजयनगर आजाद भारत का एक हिस्सा बन हुआ है, मैसूर राजवंश को इस शाप से मुक्ति नहीं मिल सकी है।
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