रंगपंचमी हर साल चैत्र कृष्ण पंचमी को मनाया जाता है। विभिन्न रंगों के प्रति आकर्षित देवी-देवताओं को उनके पसंद के अनुसार रंगों को चढ़ाया जाता है और इसके साथ ही रंगपंचमी के पर्व पर वायुमंडल में उड़ाए जाने वाले विभिन्न रंगों के रंग कणों की ओर विभिन्न देवताओं के तत्व आकर्षित होते हैं।
यदि कोई व्यक्ति रंगपंचमी के दिन शिव या फिर शक्ति की आराधना करें तो उसे समस्त परेशानियों से मुक्ति मिलती है और मानसिक शान्ति मिलती है। इस दिन घर की पूर्व दिशा में लाल स्वच्छ वस्त्र बिछाकर शिव और उनके परिवार के चित्र को स्थापित करें और इसके बाद चमेली के तेल का दीपकर जलाकर, लाल फूलों को चढ़ाएं। इसके बाद गुग्गुल के धूप जलाएं और सिंदूर और लाल चंदन, अबीर चित्र पर लगाएं और तत्पश्चात गुड़ से बनी हुई रेवडिय़ों का भोग लगाकर एक माला से ‘ह्रीं हरित्याय नम: शिवाय ह्रीं ॥’ मंत्र का जाप करें।
पूजा के बाद भगवान को चढ़ाएं गए भोग को भक्तगणों में वितरित करें। पूजा के लिए सुबह 11:30 से 12:30 तक का समय सबसे उपयुक्त है। इस शिव पूजन में कुछ उपायों को अपनाकर आप अपने परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं। जैसे कि यदि कोई व्यक्ति शारीरिक कष्ट से पीडि़त है तो वो मसूर भरा तांबे का कलश शिवलिंग पर चढ़ाएं। इसके साथ ही यदि कोई मानसिक विकार से ग्रस्त है तो वो शहद मिलें दूध में अपना छाया देखकर उसे शिवलिंग पर चढ़ाएं।
यदि कोई शख्स समाज में प्रतिष्ठित होने के लिए प्रयासरत है तो वो नारियल पर सिंदूर छिड़ककर भोलेनाथ पर चढ़ाएं। इन विधियों और उपायों का पालन कर आप रंग पंचमी के त्यौहार कर अपने कष्टो को दूर कर सकते हैं।