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पितृ पक्ष: पितर इस तरह से देते हैं आ शीर्वाद, ऐसे पहचानें

locationभोपालPublished: Sep 05, 2020 11:47:22 pm

श्राद्ध पक्ष में अपनी परिजनों को आशीर्वाद देने के लिए धरती पर आती आत्माएं…

Pitru Paksh: Pitars give such blessings, recognize this way

Pitru Paksh: Pitars give such blessings, recognize this way

सोलह दिनों तक चलने वाला पितृपक्ष 02 सितम्बर 2020 से शुरू हो चुका हैं, जो 17 सितम्बर तक चलेंगे। इन दिनों परिजन अपने पूर्वजों के आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध करते हैं। इसे ‘सोलह श्राद्ध’, ‘महालय पक्ष’, ‘अपर पक्ष’ आदि नामों से भी जाना जाता है। इसके तहत लोग आपने पूर्वजों के लिये पिण्डदान करते हैं। अपने पितरों का श्राद्ध करते हैं। पितर का मतलब है वे परिजन जिनकी मृत्यु हो चुकी है।

पंडित सुनील शर्मा के अनुसार आत्मा की तृप्ति के लिए श्रद्धापूर्वक जो अर्पित किया जाए वह श्राद्ध है। हिन्दू धर्म के अनुसार मृत्यु के बाद भी यह संसार छोड़ कर जा चुकी आत्माएं किसी न किसी रूप में श्राद्ध पक्ष में अपनी परिजनों को आशीर्वाद देने के लिए धरती पर आती हैं। पितरों के परिजन उनका तर्पण कर उन्हें तृप्त करते हैं। इन सोलह दिनों में सबसे पहले खाना गाय और कौआ को खिलानी चाहिए।

गाय और कौए के अलावा कुत्ते को भी भोजन कराया जाता है। दरअसल मान्यता के अनुसार जब धर्मराज युधिष्ठिर की मृत्यु हुई तो कुत्ता भी उनके साथ स्वर्ग गया था। तब से हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि अब भी कुत्ता मृत आत्माओं के साथ स्वर्ग जाता है। वहीं कौवें को यमराज का वाहक माना जाता है, इसीलिए ऐसा माना जाता घर के आस-पास आये कौओं को खाना खिलाना चाहिए। जबकि गाय में सभी देवी देवताओं का वास माने जाने के तहत इस समय उन्हें भी भोजन कराया जाता है।

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लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ओर जहां आपके पितृ पक्ष में पृथ्वी में आने के बावजूद पूर्वज आपके सामने अपने ही रूप में नहीं आ पाते, ऐसे में कई बार जहां वे सपने में आपको इशारा करते हैं। वहीं इसके अलावा कुछ जीवों के रुप में भी आपको इशारा करते है। दरअसल पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता के अनुसार इस समय हमारे पितृ पशु पक्षियों के माध्यम से हमारे निकट आते हैं और गाय, कुत्ता, कौवा और चींटी के माध्यम से पितृ आहार ग्रहण करते हैं।

इन जीवों का ही चुनाव क्यों किया गया है
पंडित शर्मा के अनुसार कुत्ता जल तत्व का प्रतीक है, चींटी अग्नि तत्व का, कौवा वायु तत्व का, गाय पृथ्वी तत्व का और देवता आकाश तत्व का प्रतीक हैं। इस प्रकार इन पांचों को आहार देकर हम पंच तत्वों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं। केवल गाय में ही एक साथ पांच तत्व पाए जाते हैं। इसलिए पितृ पक्ष में गाय की सेवा विशेष फलदाई होती है।

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कौए के रूप में ऐसे मिलते हैं संकेत…
पितृ पक्ष के दिनों में कौए को ग्रास दिया जाता है, ऐसा इसलिए है क्योंकि मान्यता है कि कौए पितर का रूप होते हैं और वो इन दिनों में अपने परिवार से मिलने कौए के रूप में धरती पर आते हैं।

पितृपक्ष में कौओं को भोजन देने का विशेष महत्व होता है। कौआ यमराज का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यदि कौआ आपके श्राद्ध का भोजन ग्रहण कर लेता है, तो आपके पितर आपसे प्रसन्न और तृप्त माने जाते हैं। यदि कौआ भोजन नहीं करता है तो इसका अर्थ है कि आपके पितर आपसे नाराज और अतृप्त हैं। हालांकि कौए से जुड़ी और कई मान्यताएं भी है जिसका जिक्र शकुन शास्त्र में किया गया है। तो आइए जानते हैं कि कौए के रूप में पितरों के संकेत…

दरअसल कौए का इतना महत्व होने के पीछे भी एक कहानी छिपी है जिसमें बताया गया है कि भगवान राम ने त्रेतायुग में कौए को आर्शीवाद दिया था। एक बार की बात है जब एक कौए ने माता सीता के पैर में चोंच मार दी, उसी समय भगवान राम ने तिनके का बाण चलाया था जिससे उसकी एक आंख फूट गई थी।

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ऐसा करने पर उन्हें बाद में पश्चातावा हो रहा था और तभी उन्होने कौए से माफी मांगी।इसके साथ ही भगवान राम ने उसे आशीर्वाद दिया कि तुम को खिलाया गया भोजन पितरों को प्राप्त होगा। तब से पितृपक्ष में कौओं को भी श्राद्ध के भोजन का एक अंश दिया जाने लगा।

इसके अलावा धार्मिक मान्यताओं की मानें तो कौओं को देवपुत्र माना जाता है। व्यक्ति जब शरीर का त्याग करता है और उसके प्राण निकल जाते हैं तो वह सबसे पहले कौआ का जन्म पाता है। माना जाता है कि कौआ का किया गया भोजन पितरों को ही प्राप्त होता है।

कौए: ऐसे मिलते हैं पितरों से शुभ संकेत …
– घर के आसपास अगर आपको कौवे की चोंच में फूल-पत्ती दिखाई दे जाए तो मनोरथ की सिद्धि होती है।
– कौआ गाय की पीठ पर चोंच को रगड़ता हुआ दिखाई तो समझिए आपको उत्तम भोजन की प्राप्ति होगी।
– कौआ अपनी चोंच में सूखा तिनका लाते दिखे तो धन लाभ होता है।
– कौआ अनाज के ढ़ेर पर बैठा मिले, तो धन लाभ होता है।
– यदि कौआ बाईं तरफ से आकर भोजन ग्रहण करता है तो यात्रा बिना रुकावट के संपन्न होती है। वहीं कौआ पीठ की तरफ से आता है तो प्रवासी को लाभ मिलता है।
– कौआ मकान की छत पर या हरे-भरे वृक्ष पर जाकर बैठे तो अचानक धन लाभ होता है।

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कौए से जुड़े कुछ सामान्य संकेत
: अगर आपके घर के सामने सुबह के वक्त कौआ बोलता हुआ नजर आता है तो यह शुभ संकेत है। माना जाता है कि यह आपके घर में कोई मेहमान आने का संकेत है, यह मान-सम्मान और धन आगमन का संकेत भी माना जाता है।

: वहीं ठीक इसके विपरीत अगर आपके पीछे की तरफ से कौए की आवाज सुनाई दे तो समझ जाएं कि आपके जीवन की सारी समस्याएं जल्द ही समाप्त होने वाली हैं। इतना ही नहीं चोंच से भूमि खोदते हुए कौए को देखना भी धन लाभ का संकेत माना जाता है।

: अगर किसी महिला के सिर पर कौआ बैठ जाए तो माना जाता है कि उस महिला के पति पर संकट आने वाला है। ध्यान रहे कि अगर अगर कौआ बहुत तेज आवाज में चिल्लाते हुए दिखे और अपने पंखों को जोर-जोर से फड़फड़ाए तो यह अपशगुन कहा जाता है।

: कहा तो ये भी जाता है कि अगर आप कभी रास्ते में जा रहे हैं और आपको पानी पीते हुए कौआ दिखे तो यह आपको धन लाभ होने का संकेत हो सकता है। किसी काम में सफलता भी मिलती है। इसी तरह से रोटी का टुकड़ा या खाने का तिनका चोंच में दबाए हुए कौआ नजर आए तो ये सभी संकेत धन लाभ के ही होते हैं।

: अगर आपके घर में कभी अचानक कौए का झुंड आ जाता है और काफी तेज आवाज में चिल्लाता है तो समझ जाएं कि कुछ अपशगुन होने वाला है।

गौ- पश्चिम दिशा की ओर पत्ते पर गाय के लिए खाना निकालते हैं। इसमें भोजन का एक हिस्सा गाय को दिया जाता है क्योंकि गरुड़ पुराण में गाय को वैतरणी नदी से पार लगाने वाली कहा गया है। गाय में ही सभी देवता निवास करते हैं। गाय को भोजन देने से सभी देवता तृप्त होते हैं इसलिए श्राद्ध का भोजन गाय को भी देना चाहिए।

गाय: ऐसे मिलते हैं पितरों से शुभ संकेत …
– यदि कोई गाय पितृ पक्ष के दौरान बछड़े को दूध पिलाती दिखे।
– गाय आपके द्वारा प्रदान किया गया भोजन आसानी से कर ले और आपकी ओर देख अपनी जीभ को बाहर निकालते हुए, हल्का सा आपको भी चाट ले।
– घर के दरवाजे के अंदर आकर अचानक गाय रम्भाना शुरू कर दें तो, यह संकेत सुख सौभाग्य का-सूचक है।

चींटी के शुभ संकेत…
– श्राद्ध के दिनों में घर की छत या दीवार पर काली चींटियों का घूमना या रेंगना घर की उन्नति के लिए शुभ संकेत माना जाता है।

श्राद्ध का भाग…
1. श्वानबलि (पत्ते पर)- पंचबली का एक भाग कुत्तों को खिलाया जाता है। कुत्ता यमराज का पशु माना गया है, श्राद्ध का एक अंश इसको देने से यमराज प्रसन्न होते हैं। शिवमहापुराण के अनुसार, कुत्ते को रोटी खिलाते समय बोलना चाहिए कि- यमराज के मार्ग का अनुसरण करने वाले जो श्याम और शबल नाम के दो कुत्ते हैं, मैं उनके लिए यह अन्न का भाग देता हूं। वे इस बलि (भोजन) को ग्रहण करें। इसे कुक्करबलि कहते हैं।

2. काकबलि (पृथ्वी पर)- पंचबली का एक भाग कौओं के लिये छत पर रखा जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, कौवा यम का प्रतीक होता है, जो दिशाओं का फलित (शुभ-अशुभ संकेत बताने वाला) बताता है। इसलिए श्राद्ध का एक अंश इसे भी दिया जाता है। कौओं को पितरों का स्वरूप भी माना जाता है। श्राद्ध का भोजन कौओं को खिलाने से पितृ देवता प्रसन्न होते हैं और श्राद्ध करने वाले को आशीर्वाद देते हैं।

3. देवादिबलि (पत्ते पर) – देवताओं को भोजन देने के लिए देवादिबलि की जाती है। इसमें पंचबली का एक भाग अग्नि को दिया जाता है जिससे ये देवताओं तक पहुंचता है। पूर्व में मुंह रखकर गाय के गोबर से बने उपलों को जलाकर उसमें घी के साथ भोजन के 5 निवाले अग्नि में डाले जाते हैं। इस तरह देवादिबलि करते हुए देवताओं को भोजन करवाया जाता है। ऐसा करने से पितर भी तृप्त होते हैं।

4. पिपीलिकादिबलि (पत्ते पर) – इसी प्रकार पंचबली का एक हिस्सा चींटियों के लिए उनके बिल के पास रखा जाता है। इस तरह चीटियां और अन्य कीट भोजन के एक हिस्से को खाकर तृप्त होते हैं। इस तरह गाय, कुत्ते, कौवे, चीटियों और देवताओं के तृप्त होने के बाद ब्राह्मण को भोजन दिया जाता है। इन सबके तृप्त होने के बाद ब्रह्मण द्वारा किए गए भोजन से पितृ तृप्त होते हैं।

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