script

जानिए क्या हैं देवी के नौ वाहनों का रहस्य

Published: Oct 18, 2015 02:32:00 pm

पुराणों के अनुसार सभी
हिंदू देवी-देवताओं के वाहन अलग अलग है। वस्तुत: ये सभी कल्पना न होकर संबंधित
देवी-देवता की शक्ति का परिचय देते हैं

Maa Kali

Maa Kali

पुराणों के अनुसार सभी हिंदू देवी-देवताओं के वाहन अलग अलग है। वस्तुत: ये सभी कल्पना न होकर संबंधित देवी-देवता की शक्ति का परिचय देते हैं। ऎसा नहीं है कि मां दुर्गा सिंह की ही सवारी करती है, वरन इसका अर्थ यह है कि मां की सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने वाले वास्तव में सिंह के समान ही शक्तिशाली होते हैं तथा किसी भी संकट का बड़ी ही सहजता से सामना कर सकते हैं। इसी तरह अन्य देवी के अन्य वाहनों का भई विशेष अर्थ है जो निम्न प्रकार हैं:



(1) सिंह : देवी दुर्गा का वाहन सिंह बल का प्रतीक है। माता दुर्गा के उपासक शक्तिशाली होते हैं और शत्रुओं का सामना करने में समर्थ होते हैं।
(2) हंस : देवी सरस्वती का वाहन हंस है। मोती चुगना उसकी विशेषता है। इन गुणों को अपनाकर ब्रह्म पद पाया जा सकता है।
(3) व्याघ्र : यह स्फूर्ति व निरंतर कर्म करने का प्रतीक है। अत: माता देवी कुछ विशिष्ट रूपों में बाघ की सवारी करती हैं।
(4) वृष : बैल ब्रह्मचर्य व संयम का प्रतीक है। यह बल व सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति कराता है। इसलिए न केवल भगवती शैलपुत्री अपितु भगवान शिव नंदी की ही सवारी करते हैं।
(5) गरूड : भगवती लक्ष्मी जब भगवान नारायण के साथ विचरण करती हैं तो वे विष्णुवाहन गरूड पर विराजमान होती हैं। गरूड त्याग व वैराग्य के प्रतीक हैं। इन्हें पक्षियों का राजा माना जाता है।
(6) मयूर : भगवान कार्तिकेय की परम शक्तिकार्तिकेयी मोर पर विराजती हैं। मोर सौंदर्य, लावण्य, स्नेह व योगशक्तिका प्रतीक है।
(7) उल्लू : माता लक्ष्मी का वाहन उल्लू आध्यात्मिक दृष्टि से अंधता का प्रतीक है। सांसारिक जीवन मे लक्ष्मी यानी धन-दौलत के पीछे भागने वाला इंसान अत्मज्ञान रूपी सूर्य को नहीं देख पाता है।
(8) गर्दभ : यह तमोगुण का प्रतिमान है। इसलिए भगवती कालरात्रि ने इसे अपने वाहन के रूप में चुना। माता शीतला का वाहन भी गधा ही होता है।
(9) हाथी : देवी विभिन्न रूपों में हाथी पर भी विराजमान होती हैं। अनेक लोकदेवियां हाथी पर बैठती हैं। तंत्रशास्त्र के अनुसार देवी का एक नाम गजलक्ष्मी भी है।

ट्रेंडिंग वीडियो