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स्त्रियों के बारे में ये गुप्त बातें जानते हैं क्या? जान लीजिए नहीं तो बाद में माथा पीटेंगे

locationभोपालPublished: May 17, 2019 12:37:38 pm

Submitted by:

Pawan Tiwari

स्त्रियों के बारे में ये गुप्त बातें जानते हैं क्या? जान लीजिए नहीं तो बाद में माथा पीटेंगे

secrets of women according to tulsidas

स्त्रियों के बारे में ये गुप्त बातें जानते हैं क्या? जान लीजिए नहीं तो बाद में माथा पीटेंगे

हमारे शास्त्रों में मनुष्य के बारे में हर चीज की जानकारी दी गई। महिला हो या पुरुष सबके बारे में बताया गया है। शास्त्रों में महिलाओं के विषय में जो जानकारी दी गई, उसे जानकर आप महिलाओं को कुछ हद तक समझ सकते हैं। हमारे शास्त्रों में महिलाओं को माता लक्ष्मी का दर्जा दिया गया है। माना जता है कि जिस घर में महिलाओं का सम्मान होता है, वहां पर मां लक्ष्मी वास करती हैं।
अलग-अलग धर्मग्रंथों में महिलाओं के विषय में अलग-अलग उल्लेख किया गया है। उनके बारे में जानकारी दी गई है। रामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास ने महिलाओं के बारे में जो उल्लेख किया है, वह मनुष्य के जीवन में बहुत ही महत्व रखता है। तुलसीदास ने महिलाओं के विषय में जिन बातों का जिक्र किया है, आज हम उन्ही के बारे में चर्चा करेंगे। आइये जानते हैं…
रामचरितमानस में दोहा है… धीरज धर्म मित्र अरु नारी। आपद काल परखिए चारी।।

तुलसीदास इस दोहे के माध्यम से कहना चाहते हैं कि जब आपकी परिस्थिति ठीक न हो तो उस वक्त धीरज, धर्म, मित्र और नारी की परीक्षा होती है क्योंकि अच्छे वक्त में सभी लोग आपके साथ होते हैं लेकिन बुरे वक्त में जो आपका साथ देता है, वही अच्छा होता है। बुरे वक्त में नारी यानि कि पत्नी की भी परीक्षा होती है।
जननी सम जानहिं पर नारी। तिन्ह के मन सुभ सदन तुम्हारे।।

इस दोहे के माध्यम से तुलसीदास कहते हैं कि जो पुरुष, अपनी पत्नी के अलावे संसार के किसी और स्त्री को अपनी मां-बहन समझता है, उसके हृदय में इश्वर वास करते हैं। अगर पुरुष पर नारी यानि कि दूसरे की पत्नी से संबंध रखता है या बनाता है, तो वह पापी होता है और भगवान उससे दूर रहते हैं।
तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर। सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि।।

दोहे के माध्यम से तुलसीदास कहते हैं कि सुंदरता को देखकर अच्छे से अच्छा ज्ञानवान, बुद्धिमान व्यक्ति भी मूर्ख बन जाता है। जैसे मोर को ही देख लीजिए… मोर देखने में कितना सुंदर है लेकिन वह सांप मारकर खाता है। अर्थात मनुष्य को कभी भी सुंदरता के पीछे नहीं भागना चाहिए।
मूढ़ तोहि अतिसय अभिमाना। नारी सिखावन करसि काना।।

रामचरितमानस में यह दोहा राम-बाली संवाद पर लिखी गई है। यहां पर भगवान राम कहते हैं कि दुष्ट बाली तुम अज्ञानी हो, तुम अपने ज्ञानी पत्नी की बात नहीं माने इसलिए युद्ध में हार गए। कहने के तात्पर्य ये ही कि अगर आपसे कोई ज्ञानी व्यक्ति कुछ कहता है तो अपना घमंड छोड़ देना चाहिए और उसका बात मान लेना चाहिए।
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