मंदिर के बारे में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने लिखा है ‘कोणार्क, जहां पत्थरों की भाषा मनुष्य से श्रेष्ठ है। भारत के पास ये विश्व की धरोहर है।’ ‘अगर आप मंदिर गए हैं, तो आपने देखा होगा कि तीन मंडपों में बंटे इस मंदिर का मुख्य मंडप और नाट्यशाला ध्वस्त हो चुके हैं और अब इसका ढांचा ही शेष है।’ बीच का हिस्सा, जिसे जगमोहन मंडप या सूर्य मंदिर के नाम से जाना जाता है, इसमें 1901 में चारों तरफ से दीवारें उठवाकर रेत भर दी गई थी। सूर्य मंदिर के मुख्य अधिकारी निर्मल कुमार महापात्र के मुताबिक, कोणार्क में रोज करीब 10 हजार लोग आते हैं। सीजन में यह संख्या 25 हजार तक पहुंच जाती है। कोणार्क में लाइट और साउंड शो की तैयारी है, जिसके लिए ट्राइकलर इंडिया कंपनी से बातचीत हो चुकी है और काम चल रहा है। यह माना जाता है कि 200 साल में केवल एक बार ऐसा संयोग होता है जैसे मानों सूरज मंदिर के अंदर उग रहा हो।