पंडित सुनील शर्मा के अनुसार भगवान हनुमान को शक्ति का प्रतीक माना जाता है। हनुमान एक ऐसे देवता हैं, जिनका मंदिर हर स्थान पर आसानी से मिल जाता है। कलयुग में सबसे ज्यादा भगवान शंकर के ग्यारहवें रुद्र अवतार श्रीहनुमानजी को ही पूजा जाता है। इसीलिए, हनुमानजी को कलियुग का जीवंत देवता भी माना जाता है।
हनुमान जी वैसे भी मंगलकारी माने जाते हैं। पुराणों में भी बजरंग बलि के चमत्कारी किस्सों से भरा हुआ है। बजरंग बलि बहुत शक्तिशाली और चमत्कारी बताए गए हैं। उनके डर से तो भूत-प्रेत भी भयभीत रहते हैं लेकिन वर्तमान समय में भी उनके वह अपने चमत्कार से अपने भक्तों पर अपनी दयादृष्टि बनाए हुए हैं।
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हनुमान जी का ऐसा ही एक चमत्कारी मंदिर मध्यप्रदेश के भोपाल में भी मौजूद है, जहां भक्त श्री हनुमान को अपनी अर्जी फोन पर लगाते हैं। वहीं खास बात ये हैं कि इनमें से अधिकांश की मनोकामना पूरी भी हो जाती है।
मंदिर नहीं पहुंच पाने पर सोशल मीडिया का सहारा…
श्री हनुमान को लेकर भोपाल में आस्था का एक ऐसा केंद्र भी मौजूद है, जहां यदि भक्त नहीं भी आ पाते, तो भी उनकी मनोकामना जरूर पूरी हो जाती है। दरअसल नेहरू नगर में अर्जीवाले हनुमानजी के नाम से एक प्रसिद्ध मंदिर है।
खास बात ये है कि कई बच्चे जो भोपाल से पढ़ाई-लिखाई के लिए दूसरे बड़े शहरों में चले गए हैं, उनकी तक आस्था आज भी अर्जीवाले हनुमानजी में बनी हुई है। इसके अलावा शहर के वे लोग जो बाहर नौकरी कर रहे हैं, उनकी आस्था भी इस मंदिर से जुड़ी होने के बावजूद इस मंदिर तक नहीं पहुंच पाने पर वे भी हनुमानजी तक अपनी मनोकामना पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं।
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स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले इस मंदिर में चिट्ठी और पत्रों के जरिए भगवान के चरणों में मुराद के लिए अर्जी लगाई जाती थी। लेकिन अब आधुनिक दौर में लोगों की श्रद्धा भी सोशल मीडिया पर उमड़ पड़ी है। किन्हीं कारणोंवश मंदिर नहीं पहुंच पाने के चलते यह लोग अपने सगे-संबंधियों के जरिए या सोशल मीडिया और वाट्सएप के अर्जी मैसेज कर देते हैं। ऐसे में उनके रिश्तेदार या मंदिर के पुजारी वह मैसेज भगवान की मूर्ति के समक्ष पढ़ देते हैं।
भावनाओं के साथ आज भी जुड़े हैं मंदिर से…
हनुमान मंदिर में आस्था के संबंध में अर्जी वाले हनुमान मंदिर के पुजारी पं. नरेन्द्र दीक्षित का कहना है कि यहां वर्षों से लोग अपनी मन्नत के लिए दरबार में अर्जी लगाने आ रहे हैं। इनमें से कई भोपाल से बाहर रहने चले गए हैं। कोई बेंगलूरु, पुणे, मुंबई तो कोई दिल्ली, हिमाचल, पंजाब में बस गया है। लेकिन, भावनाओं के साथ वे इस मंदिर के साथ आज भी जुड़े हुए हैं। आप भी यदि पूरी श्रद्धा के साथ हनुमानजी से प्रार्थना करेंगे तो आपकी भी मनोकामना पूरी हो जाएंगी।
पहली अर्जी: जो WHATSAPP पर आई
पुजारी पं. नरेन्द्र दीक्षित के अनुसार करीब पांच साल पहले वाट्सअप पर पहली बार अर्जी एक राहुल गुप्ता नामक भक्त ने लगाई थी। पहले तो हम भी हैरान रह गए थे, लेकिन बच्चे की आस्था थी, तो भगवान की मूर्ति के समक्ष यह संदेश पढ़कर सुना दिया।
इसके बाद उसके कई परिचितों ने भी इसी प्रकार से अर्जियां लगाना शुरू कर दिया। यदि कोई भक्त दूसरे शहर में अस्पताल में भर्ती है, तो वह फोन पर भी जल्द स्वस्थ होने की कामना हनुमानजी से करते हैं।
पं. दीक्षित का कहना है कि कई परिजनों ने अस्पताल में भर्ती मरीजों को मंदिर के पूजन और आरती का वीडियो दिखाया तो उनके स्वास्थ्य में अपेक्षाकृत ज्यादा लाभ मिला। जिन्हें भी अपनी मनोकामना व्यक्त करना हो वे हनुमानजी के 9827331604 नंबर पर वाट्सअप कर सकते हैं। उनकी यह अर्जी भगवान के समक्ष पढ़कर सुनाई जाएगी।
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ऐसे सुनाते हैं हनुमानजी को संदेश
मंदिर में आने वाले भक्त सफेद कागज पर अर्जी लिखकर नारियल में नाड़े से बांधकर भगवान के चरणों में अर्जी लगाते हैं। जबकि अन्य शहरों के भक्त संदेश को टाइप कर वाट्सएप के जरिए भी पंडितजी के मोबाइल पर भेजते हैं। इसके बाद पंडितजी भक्त के इस संदेश को हनुमानजी की प्रतिमा के सामने पढ़कर सुनाते हैं। भक्तों की आस्था है कि इससे उनके मन को शांति मिलती है और मनोकामना भी पूरी हो जाती है।
हनुमानजी मोबाइल से सुनते हैं समस्या…
यही प्रक्रिया Facebook के जरिए भी दोहराई जाती है। इस पर आने वाले संदेशों को भी भगवान को सुनाया जाता है। इसके अलावा कई भक्तों के पंडितजी के मोबाइल पर फोन कर कहते हैं कि भगवान को अपनी समस्या सुनाना चाहते हैं, तो वे अपना मोबाइल भगवान के कानों में लगा देते हैं।