जो व्यक्ति संकट चौथ पर गणपती का पूजन कर चंद्र को अर्घ्यदान देगा उसके दैविक, दैहिक और भौतिक विकार दूर होंगे और एश्वर्य, पुत्र, सौभाग्य प्राप्त करेगा या करेगी। मान्यताओं के अनुसार इसे वक्रतुण्डी चतुर्थी भी कहा जाता हैं। इस दिन विद्या, बुद्धि वृद्धि, संकट हरण के लिए विशेष उपाय और अनुष्ठान करना चाहिए। इस दिन मिट्टी से बने गणेश की पूजा की जाती है तथा तिल-गुड़ से बना लड्डू और शकरकंदी गणेश जी को चढ़ाई जाती है इसी क्रम में अग्नि की सात बार परिक्रमा करके कथा सुनने के बाद जल भरे लोटे से चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोला जाता है। संकट चौथ के विशेष पूजन और उपाय से संकटों का अंत होता है, दुख दूर होते हैं, संतान की रक्षा होती है व सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
विशेष पूजन विधि: संध्या के समय घर की उत्तर-पश्चिम दिशा में गुलाबी कपड़े पर मिट्टी से निर्मित गणपती की मूर्ति स्थापित करके विधिवत पूजन करें। नारियल तेल का दीप करें, गुलाब की अगरबत्ती करें, गुलाब के फूल चढ़ाएं, अबीर से तिलक करें, दूर्वा चढ़ाएं, रेवड़ियों का भोग लगाएं व रुद्राक्ष माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन के बाद चंद्रमा को इत्र, शक्कर, चंदन मिले जल से अर्घ्य दें तथा भोग प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।
गणेश पूजन मुहूर्त- शाम 06:15 से शाम 07:15 तक।
चंद्रोदय पूजन मुहूर्त- रात 09:23 से रात 10:23 तक।
गणेश पूजन मंत्र- ॐ गं गणेश्वराय विघ्ननायकाय नमः॥
चंद्र पूजन मंत्र- ॐ श्रीं चन्द्राय सकलार्तिहराय नमः॥
चंद्रोदय पूजन मुहूर्त- रात 09:23 से रात 10:23 तक।
गणेश पूजन मंत्र- ॐ गं गणेश्वराय विघ्ननायकाय नमः॥
चंद्र पूजन मंत्र- ॐ श्रीं चन्द्राय सकलार्तिहराय नमः॥