व्रत त्योहार
12 नवम्बर : श्री जम्भोजी पुण्य दिवस (विश्नोई पंथ)।
13 नवम्बर : महावीर स्वामी दीक्षा दिवस (जैन) तथा वैधृति पुण्यं।
14 नवम्बर : उत्पन्ना (वैतरणी) एकादशी व्रत सबका, पद्मप्रभु मोक्ष दिवस (जैन), बाल दिवस।
15 नवम्बर : प्रदोष व्रत तथा आखिरी चाहर शम्बा (मु.)।
16 नवम्बर : वृश्चिक संक्रान्ति 30 मु., सूर्यदेव वृश्चिक राशि में प्रवेश दोपहर 12.22 पर, संक्रांति पुण्य काल सम्पूर्ण दिन, संत ज्ञानेश्वर पुण्य दिवस तथा मास शिवरात्रि।
18 नवम्बर : देवपितृकार्य अमावस्या, शनैश्चरी अमावस्या तथा शहादते इमाम हसन (मु.)।
12 नवम्बर : श्री जम्भोजी पुण्य दिवस (विश्नोई पंथ)।
13 नवम्बर : महावीर स्वामी दीक्षा दिवस (जैन) तथा वैधृति पुण्यं।
14 नवम्बर : उत्पन्ना (वैतरणी) एकादशी व्रत सबका, पद्मप्रभु मोक्ष दिवस (जैन), बाल दिवस।
15 नवम्बर : प्रदोष व्रत तथा आखिरी चाहर शम्बा (मु.)।
16 नवम्बर : वृश्चिक संक्रान्ति 30 मु., सूर्यदेव वृश्चिक राशि में प्रवेश दोपहर 12.22 पर, संक्रांति पुण्य काल सम्पूर्ण दिन, संत ज्ञानेश्वर पुण्य दिवस तथा मास शिवरात्रि।
18 नवम्बर : देवपितृकार्य अमावस्या, शनैश्चरी अमावस्या तथा शहादते इमाम हसन (मु.)।
श्रेष्ठ चौघडि़ए
(जयपुर सूर्योदयानुसार)
आज प्रात: 8.09 से दोपहर 12.11 तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत तथा दोपहर बाद 1.32 से अपराह्न 2.52 तक शुभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर 11.49 से दोपहर 12.3 तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।
(जयपुर सूर्योदयानुसार)
आज प्रात: 8.09 से दोपहर 12.11 तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत तथा दोपहर बाद 1.32 से अपराह्न 2.52 तक शुभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर 11.49 से दोपहर 12.3 तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।
राहुकाल
सायं 4.30 बजे से सायं 6.00 बजे तक राहुकाल वेला में शुभ कार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है। शुभ मुहूर्त 13 नवम्बर : विवाह उ.फा. में, गृहारम्भ व गृहप्रवेश अति आवश्यकता में (भद्रा व वैधृति दोष) तथा वधू-प्रवेश (वैधृति के बाद) उ.फा. नक्षत्र में।
14 नवम्बर : विवाह, प्रसूतिस्नान व हलप्रवहण सभी उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में।
15 नवम्बर : गृहारम्भ (च.शु.र.), विपणि-व्यापारारम्भ, नामकरण, अन्नप्राशन, हलप्रवहण आदि हस्त नक्षत्र में तथा विवाह चित्रा में।
सायं 4.30 बजे से सायं 6.00 बजे तक राहुकाल वेला में शुभ कार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है। शुभ मुहूर्त 13 नवम्बर : विवाह उ.फा. में, गृहारम्भ व गृहप्रवेश अति आवश्यकता में (भद्रा व वैधृति दोष) तथा वधू-प्रवेश (वैधृति के बाद) उ.फा. नक्षत्र में।
14 नवम्बर : विवाह, प्रसूतिस्नान व हलप्रवहण सभी उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में।
15 नवम्बर : गृहारम्भ (च.शु.र.), विपणि-व्यापारारम्भ, नामकरण, अन्नप्राशन, हलप्रवहण आदि हस्त नक्षत्र में तथा विवाह चित्रा में।