आज के दिन इस समय के दौरान करें शुभ कार्य, ये है श्रेष्ठ मुहूर्त
वि.सं.: 2074, संवत्सर: साधारण, अयन: दक्षिणायन, शाके: 19.39, हिजरी: 1439, मु.मास: सफर-22, ऋतु: हेमंत, मास: मार्गशीर्ष, पक्ष: कृष्ण।

यमघंट नामक अशुभ योग में यात्रा निषेध मानी जाती हैं। यह कुछ प्रहर का होता है। ऐसे में कुछ राशियां बहुत अधिक प्रभावित होती हैं। जो लग्न अनुसार देखि जा सकती है।
वि.सं.: 2074, संवत्सर: साधारण, अयन: दक्षिणायन, शाके: 19.39, हिजरी: 1439, मु.मास: सफर-22, ऋतु: हेमंत, मास: मार्गशीर्ष, पक्ष: कृष्ण।
शुभ तिथि : नवमी रिक्ता संज्ञक तिथि दोपहर 12.43 तक, उसके बाद दशमी पूर्णा संज्ञक तिथि है। नवमी में शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित हैं। किसी शुभ कार्यारम्भ के समय लग्न या केन्द्र स्थान में कोई शुभग्रह स्थित हो तो रिक्ता तिथि का दोष परिहृत हो जाता है। दशमी में यथाआवश्यक समस्त शुभ व मांगलिक कार्य सिद्ध होते हैं।
नक्षत्र: मघा 'उग्र व अधोमुख' संज्ञक नक्षत्र पूर्वाह्न 11.32 तक, फिर पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र है। पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र भी 'उग्र व अधोमुख' संज्ञक नक्षत्र ही है। मघा में पैतृक कार्य, वृक्ष, बीजादि रोपण, विवाह और अन्य साहसिक कार्य करने योग्य हैं। इसी प्रकार पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में बंधन, कठिन व साहसिक कार्य, कारीगरी, कपटता, विद्या व सगाई-रोका आदि से सम्बंधित कार्य प्रशस्त हैं।
विशिष्ट योग: यमघंट नामक अशुभ योग सूर्योदय से पूर्वाह्न 11.32 तक है। यमघंट नामक योग में विशेषत: यात्रा नहीं करना चाहिए।
चंद्रमा: सम्पूर्ण दिवारात्रि सिंह राशि
में है।
वारकृत्य कार्य : रविवार को सामान्यत: सभी स्थिर कार्य, शपथ ग्रहण, मांगलिक कर्म, यानयात्रा, औषध, पशु क्रय, युद्ध, अग्नि, सेवा नौकरी, सुवर्ण और शिक्षा-दीक्षा लेना-देना तथा मंत्रोपदेश आदि कार्य करने योग्य हैं।
दिशाशूल : रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। चन्द्र स्थिति के अनुसार आज पूर्व दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद है।
व्रत त्योहार
12 नवम्बर : श्री जम्भोजी पुण्य दिवस (विश्नोई पंथ)।
13 नवम्बर : महावीर स्वामी दीक्षा दिवस (जैन) तथा वैधृति पुण्यं।
14 नवम्बर : उत्पन्ना (वैतरणी) एकादशी व्रत सबका, पद्मप्रभु मोक्ष दिवस (जैन), बाल दिवस।
15 नवम्बर : प्रदोष व्रत तथा आखिरी चाहर शम्बा (मु.)।
16 नवम्बर : वृश्चिक संक्रान्ति 30 मु., सूर्यदेव वृश्चिक राशि में प्रवेश दोपहर 12.22 पर, संक्रांति पुण्य काल सम्पूर्ण दिन, संत ज्ञानेश्वर पुण्य दिवस तथा मास शिवरात्रि।
18 नवम्बर : देवपितृकार्य अमावस्या, शनैश्चरी अमावस्या तथा शहादते इमाम हसन (मु.)।
श्रेष्ठ चौघडि़ए
(जयपुर सूर्योदयानुसार)
आज प्रात: 8.09 से दोपहर 12.11 तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत तथा दोपहर बाद 1.32 से अपराह्न 2.52 तक शुभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर 11.49 से दोपहर 12.3 तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।
राहुकाल
सायं 4.30 बजे से सायं 6.00 बजे तक राहुकाल वेला में शुभ कार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।
शुभ मुहूर्त
13 नवम्बर : विवाह उ.फा. में, गृहारम्भ व गृहप्रवेश अति आवश्यकता में (भद्रा व वैधृति दोष) तथा वधू-प्रवेश (वैधृति के बाद) उ.फा. नक्षत्र में।
14 नवम्बर : विवाह, प्रसूतिस्नान व हलप्रवहण सभी उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में।
15 नवम्बर : गृहारम्भ (च.शु.र.), विपणि-व्यापारारम्भ, नामकरण, अन्नप्राशन, हलप्रवहण आदि हस्त नक्षत्र में तथा विवाह चित्रा में।
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