द्वितीया भद्रा संज्ञक तिथि दोपहर १२.५४ तक, इसके बाद तृतीया जया संज्ञक तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। द्वितीया व तृतीया तिथियों में यथाआवश्यक प्रतिष्ठा, विवाह, उपनयन, आभूषण, वास्तु, सैन्य सज्जा और तृतीया में उपरोक्त कार्यों सहित संगीत, वाद्य, कलाकार्य, शिक्षा व गृह प्रवेश आदि विषयक कार्य शुभ होते हैं पर अभी शुक्रास्त दोष है। नक्षत्र: मघा ‘उग्र व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र दोपहर १२.५९ तक, इसके बाद पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र है। पूर्वाफाल्गुनी भी ‘उग्र व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। मघा गण्डान्त मूल संज्ञक नक्षत्र में जन्मे जातकों की २७ दिन बाद जब मघा नक्षत्र आये उस दिन नक्षत्र शांति करा देना हितकर है। योग: शोभन नामक नैसर्गिक शुभ योग सायं ७.१७ तक, इसके बाद अतिगंड नामक नैसर्गिक अशुभ योग है। अतिगंड नामक योग की प्रथम छ: घटी शुभ कार्यों में त्याज्य है। विशिष्ट योग: दोपहर १२.५९ से अगले दिन सूर्योदय तक सर्वार्थसिद्धि व राजयोग नामक शुभ योग है। करण: गर नामकरण दोपहर १२.५४ तक, इसके बाद रात्रि ११.४५ तक वणिज नामकरण तदुपरान्त भद्रा प्रारंभ हो जाएगी।
श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज सूर्योदय से पूर्वाह्न ११.१९ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत, दोपहर १२.४१ से दोपहर बाद २.०२ तक शुभ तथा सायं ४.४४ से सूर्यास्त तक चर के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.१९ से दोपहर १.०२ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभ कार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं। शुभ मुहूर्त: उपर्युक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार आज किसी शुभ व मांगलिक कार्यादि के शुभ व शुद्ध मुहूर्त नहीं है।
व्रतोत्सव: आज दस्तकार दिवस, ब्रज महोत्सव तीन दिन का प्रारम्भ भरतपुर (राज. में)। चन्द्रमा: चन्द्रमा संपूर्ण दिवारात्रि सिंह राशि में है। दिशाशूल: शुक्रवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। पर चन्द्र स्थिति के अनुसार आज पूर्व दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद है। राहुकाल: प्रात: १०.३० से दोपहर १२.०० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।