भगवान विष्णु ने नारद मुनि से कहा नारद तुम पूरा दिन इस किसान के साथ बिताकर आओ तब तुम्हें इसका कारण आपको खुद ही समझ आ जाएगा। नारद जी किसान के घर गए मुनि जी ने देखा कि किसान ने प्रातः काल उठकर भगवान का नाम लिया फिर उसने गायों का दूध निकाला जब वह दूध निकलकर उठा उसने फिर भगवान विष्णु का नाम लिया। इसके बाद जब वह खेतों में काम करने के लिए निकला तब भी उसने फसल काटते समय प्रभु का नाम लेकर उन्हें याद किया। सांझ काल घर लौटकर गायों को चारा देने के बाद उसनें फिर श्री हरि का नाम लिया। रात्रि में अपने परिवार के साथ भोजन करने से पहले और भोजन करने के बाद उसने भगवान को याद किया और सो गया।
नारद जी वापस भगवान विष्णु के पास आए और उनसे कहा कि प्रभु वह किसान ठीक तरह से आपका नाम नहीं जपता है। प्रातः काल उठकर आपकी ठीक से पूजा भी नहीं करता है। इस पर भगवान विष्णु ने मुस्काते हुए नारद मुनि को एक अमृत से भरा कलश दिया आदेश दिया और कहा मुनि जाओ पूरी धरती का चक्कर लगा कर आओ और कलश से एक बूंद भी अमृत जमीन पर नहीं गिरना चाहिए। नारद जी पूरी धरती का चक्कर लगा कर वापस आए तो विष्णु भगवान ने उनसे पूछा कि धरती पर अमृत की कोई बूँद तो नहीं गिरी? नारद जी ने बड़े घमंड से जवाब दिया कि नहीं मैनें आपका दिया यह कार्य अच्छे से किया। नारद बोले मैं आपका सबसे प्रिय भक्त हूं इसीलिए मैं कोई गलती कैसे कर सकता हूं।