scriptजब भगवान विष्णु ने तोड़ा अपने सच्चे भक्त नारद मुनि का घमंड और पढ़ाया सच्चे भक्त का पाठ | when lord vishnu teaches a lesson of true his devotee to narada muni | Patrika News

जब भगवान विष्णु ने तोड़ा अपने सच्चे भक्त नारद मुनि का घमंड और पढ़ाया सच्चे भक्त का पाठ

locationनई दिल्लीPublished: Dec 07, 2017 02:58:07 pm

Submitted by:

Ravi Gupta

भगवान विष्णु ने एक दिन नारद मुनि से बताया कि मेरा सबसे प्रिय भक्त एक किसान है।

Lord Vishnu

नई दिल्ली। आपको तो पाता ही है भगवान नारद का जो पौराणिक कथाओं में जैसा चित्रण किया गया है उस हिसाब से वह हर समय “नारायण-नारायण” जपते रहते हैं परन्तु क्या आपको पाता है? उनका यह नारायण नाम जपना भगवान विष्णु को ही बिलकुल पसंद नहीं है। इसके पीछे एक कथा है और यह कथा हमें कुछ सिखाती भी है। पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ऐसा हुआ कि नारद मुनि को अपनी विष्णु भक्ति पर घमंड हो गया। यह बात भगवान विष्णु समझ गए और उन्होनें एक दिन नारद मुनि से बताया कि मेरा सबसे प्रिय भक्त एक किसान है। वह गाँव में खेती करता है और बस मेरी भक्ति में लीन रहता मुझे वह बहुत प्रिय है। यह बात सुनकर नारद मुनि आश्चर्य में आ गए और पूछा कि ऐसा क्या खास है उस किसान में जिसके कारण आप उसको अपना सबसे प्रिय भक्त मानते हैं और मुझे नहीं।

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भगवान विष्णु ने नारद मुनि से कहा नारद तुम पूरा दिन इस किसान के साथ बिताकर आओ तब तुम्हें इसका कारण आपको खुद ही समझ आ जाएगा। नारद जी किसान के घर गए मुनि जी ने देखा कि किसान ने प्रातः काल उठकर भगवान का नाम लिया फिर उसने गायों का दूध निकाला जब वह दूध निकलकर उठा उसने फिर भगवान विष्णु का नाम लिया। इसके बाद जब वह खेतों में काम करने के लिए निकला तब भी उसने फसल काटते समय प्रभु का नाम लेकर उन्हें याद किया। सांझ काल घर लौटकर गायों को चारा देने के बाद उसनें फिर श्री हरि का नाम लिया। रात्रि में अपने परिवार के साथ भोजन करने से पहले और भोजन करने के बाद उसने भगवान को याद किया और सो गया।

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नारद जी वापस भगवान विष्णु के पास आए और उनसे कहा कि प्रभु वह किसान ठीक तरह से आपका नाम नहीं जपता है। प्रातः काल उठकर आपकी ठीक से पूजा भी नहीं करता है। इस पर भगवान विष्णु ने मुस्काते हुए नारद मुनि को एक अमृत से भरा कलश दिया आदेश दिया और कहा मुनि जाओ पूरी धरती का चक्कर लगा कर आओ और कलश से एक बूंद भी अमृत जमीन पर नहीं गिरना चाहिए। नारद जी पूरी धरती का चक्कर लगा कर वापस आए तो विष्णु भगवान ने उनसे पूछा कि धरती पर अमृत की कोई बूँद तो नहीं गिरी? नारद जी ने बड़े घमंड से जवाब दिया कि नहीं मैनें आपका दिया यह कार्य अच्छे से किया। नारद बोले मैं आपका सबसे प्रिय भक्त हूं इसीलिए मैं कोई गलती कैसे कर सकता हूं।

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विष्णु जी ने मुस्कुराते हुए कहा कि आज तुमने मेरा नाम कितनी बार लिया या मुझे कितनी बार याद किया? नारद ने कहा कि आपने कलश को ध्यान से रखने की आज्ञा दी थी इसी कारण से मैं आज उसी में व्यस्त था आपका नाम जपने या लेने का अवसर ही नहीं मिला। कारणवश मैं आपका नाम नहीं ले पाया। विष्णु भगवान ने नारद जी से कहा कि वह किसान पूरे दिन अपना काम करता है व्यस्थ रहता है लेकिन फिर भी वह मुझे याद करता है मेरा नाम लेता है। तुम एक दिन भी यह नहीं कर सके। मेरा नाम तुम इसलिए हर समय लेते हो क्योंकि तुम्हारे पास करने को कोई काम नहीं है। इसी कारण वह किसान मेरा प्रिय भक्त है और इसी तरह के लोग मुझे भाते हैं जो सुख-दुख के हर समय मुझे याद करें मेरा स्मरण करें ऐसे ही भक्त मेरे सच्चे भक्त होते हैं।
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