– विवाह समय निर्धारण के लिये सबसे पहले कुण्डली में विवाह के योग देखे जाते हैं। यदि जन्म कुंडली में विवाह के योग नहीं होंगे तो शादी होना असंभव माना जाता है।
– जन्म कुण्डली में जब अषुभ या पापी ग्रह सप्तम भाव, सप्तमेष व षुक्र से संबन्ध बनाते हैं तो वे ग्रह विवाह में विलम्ब का कारण बनते हैं। इसके विपरीत यदि शुभ ग्रहों का प्रभाव सप्तम भाव, सप्तमेष व शुक्र पर पड़ता हो तो शादी जल्द होती है।
– शादी होने में दशा का योगदान काफी महत्वपूर्ण होता है। सप्तमेष की दषा-अन्तर्दषा में विवाह- यदि जन्म कुण्डली में विवाह के योग की संभावनाएं बनती हों, और सप्तमेश की दशा चल रही हो और उसका संबंध शुक्र ग्रह से स्थापित हो जाय तो जातक का विवाह होता है। इसके साथ ही यदि सप्तमेश का द्वितीयेश के साथ संबंध बन रहा हो तो उस स्थिति में भी विवाह होता है।
सप्तमेष में नवमेष की दशा- अन्तर्दशा में विवाह: जब दशा का क्रम सप्तमेश व नवमेश का चल रहा हो और इन दोनों ग्रहों का संबंध पंचमेश से बनता हो तो इस ग्रह दशा में प्रेम विवाह होने की संभावनाएं बनती है। पंचम भाव प्रेम संबंध को दर्शाता है।
इसके विपरित यदि सप्तमेश और सप्तम भाव में स्थित ग्रह अशुभ भाव में बैठे हों, अपनी शत्रु राशि में हों और उन पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो वे अपनी दशा के मध्य में जातक की शादी कराते हैं।
इसके अलावा कुंडली में ग्रहों की स्थिति, दृष्टि, युति से बनने वाले योग भी जातक के विवाह होने की संभावनाएं बनाते हैं:
-शादी में शुक्र का महत्वपूर्ण स्थान है। जब शुक्र शुभ स्थित होकर किसी व्यक्ति की कुण्डली में शुभ ग्रह की राषि तथा शुभ भाव (केन्द्र, त्रिकोण) में स्थित हो, और शुक्र की अन्तर्दशा या प्रत्यन्तर दशा जब आती है तो उस समय विवाह हो सकता है। कुण्डली में शुक्र का शुभ होना वैवाहिक जीवन की शुभता को बढ़ाता है। कुंडली में शुक्र जितना ही शुभ होगा व्यक्ति का वैवाहिक जीवन सुखमय होगा।
-कुंडली में चाहे किसी भी ग्रह की दशा क्यों न हो। यदि दशानाथ का संबंध शुक्र से बनता हो और कुंडली में शुक्र शुभ राशि, शुभ ग्रह से युक्त होकर नैसर्गिक रुप से शुभ हों, और गोचर में शनि, गुरु से संबन्ध बनाता हो, उस स्थिति में शुक्र अपनी दशा-अन्तर्दशा में विवाह होने का संकेत करता है।
– जन्म कुण्डली में शुक्र जिस ग्रह के नक्षत्र में स्थित होता है उस ग्रह की जब दशा चलती है तो उस समय में भी विवाह होने की संभावनाएं बनती हैं।
– यदि कुंडली में लग्नेष व सप्तमेष की दषा चल रही हो तो ऐसी स्थिति में लग्नेष की दषा में सप्तमेष की अन्तर्दशा में विवाह होने की संभावनाएं बनती हैं ।
– शुक्र से युति करने वाले ग्रहों की दषा में विवाह होने की संभावना बनती है बशर्ते कि वह बली हो और सप्तमेश से दृष्टि संबंध बना रहा हो। अतः उन सभी ग्रहों की दशा-अन्तर्दशा में विवाह होने की संभावनाएं बनती हैं।