scriptहिंदू धर्म में महिलाओं को है पूजा का अधिकार, शास्त्रों में दिए गए हैं ये प्रमाण | Women can worship god, says ancient hindu literature | Patrika News

हिंदू धर्म में महिलाओं को है पूजा का अधिकार, शास्त्रों में दिए गए हैं ये प्रमाण

Published: Jan 28, 2016 04:37:00 pm

हिंदू धर्म में महिलाओं को कुछ विशेष काम करने से मना किया जाता है, इनमें भी कुछ कार्य किसी समय विशेष पर नहीं किए जा सकते

women can worship god

women can worship god

यूं तो सभी धर्मों में महिलाओं को लेकर कई तरह की पाबंदियां बताई गई हैं। हिंदू धर्म में भी महिलाओं को कुछ विशेष काम करने से मना किया गया है। इनमें भी कुछ कार्य किसी समय विशेष पर नहीं किए जा सकते। ऐसे में शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। शास्त्रों की बात की जाए तो महिलाओं तथा दलितों को भी भगवान के किसी भी रूप की पूजा का अधिकार दिया गया है, हालांकि उसके साथ स्नान, पवित्रता जैसे नियम अवश्य जोड़े गए हैं।

महिलाएं नहीं कर सकती हनुमानजी तथा शिवलिंग की पूजा!

हाल ही में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने भी बयान दिया है कि शनि देव भगवान न होकर एक ग्रह मात्र है तथा उनकी पूजा उन्हें अपने से दूर रखने के लिए की जाती है न कि उनका आव्हान करने के लिए। इसी तरह महिलाओं को हनुमानजी तथा शिवलिंग की पूजा करने से भी रोका जाता है। जानकारों के अनुसार अविवाहित महिलाओं को हनुमानजी तथा शिवलिंग की पूजा दूर से ही करनी चाहिए जबकि प्राचीन ग्रंथों में ऐसा उल्लेख नहीं किया गया है। यहीं नहीं हिंदू धर्म में भगवान की नारी स्वरूप में भी कल्पना की गई है जो बताता है कि प्राचीन समय में महिलाओं को कितने अधिक अधिकार मिले हुए थे। कालांतर में ये सभी छीन लिए गए।

शास्त्रों में दिए गए हैं महिलाओं को ये अधिकार

शास्त्रों की बात की जाए तो वहां पर महिलाओं को पूजा के सभी अधिकार दिए गए हैं। उदाहरण के लिए कौषीतकि ब्राह्मण में एक कुमारी गंधर्व गृहीत अग्निहोत्र में पारंगत बतायी गई है। (कौ.ब्रा.2/9) इसी प्रकार अर्थववेद में बालकों की ही भांति बालिकाओं के लिए भी शिक्षा ग्रहण करना आवश्यक थी (अथर्व. 11/5/14)। आध्यात्मिक ज्ञान के क्षेत्र में बृहस्पति भगिनी, भुवना, अपर्णा, एकपर्णा, एकपाटला, मैना, धारिणी, संमति आदि कन्याओं का उल्लेख आता है।

इनके अतिरिक्त शास्त्रों में ऐसी कन्याओं का भी उल्लेख किया गया है जिन्होंने ऋषि मुनियों के लिए भी दुर्लभ बताई गई तपस्याओं को पूर्ण कर मनचाहा वर प्राप्त किया। इनमें वैष्णवी, पार्वती, धर्मव्रता आदि कन्याओं का नाम मुख्य है। शास्त्रों में विश्ववारा को यज्ञ सम्पादित करने वाली नारी बताया गया है। ऋग्वेद में लिखा है कि वह प्रातःकाल स्वयं यज्ञ प्रारम्भ कर देती थी। (ऋ. 5/281)।

यज्ञ भी करती थी महिलाएं

यह शास्त्रों का ही वचन था कि उपनयन संस्कार के समय बालक घर की स्त्रियों से ही भिक्षा माँगता था (मनु. 2/50)। राम के युवराज पद पर अभिषेक के समय कौशल्या ने यज्ञ संपादित किया था (वाल्मीकि रामायण 2/20/15)। इसी भांति बाली के सुग्रीव से युद्ध के लिए जाते समय उसकी पत्नी तारा भी यज्ञ कर रही थी। (वाल्मीकि रामायण 4/16/18)। पाण्डवों की माता कुन्ती भी अथर्ववेद की जानकार थी तथा उन्होंने पांडवों का वेद की शिक्षा भी दी थी (महाभारत 3/3/5/20)।

ट्रेंडिंग वीडियो