नक्षत्र: रेवती ‘मृदु व तिङ्र्यंमुख’ संज्ञक नक्षत्र अंतरात्रि ४.०५ तक, इसके बाद अश्विनी ‘क्षिप्र व तिङ्र्यंमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। यदि समय शुद्ध हो और तिथि शुभ हो तो रेवती में यथा आवश्यक घर, देवमंदिर, अलंकार, विवाह, जनेऊ तथा जल व स्थल संबंधी सभी कार्य करने योग्य हैं। अश्विनी में यात्रा, औषध, विद्या, चित्रकारी व कलादि कार्य शुभ होते हैं। पर अभी शुभ कार्यों के लिए समय व तिथ्यादि शुभ नहीं है।
विशिष्ट योग: आज अंतरात्रि ४.०५ से अगले दिन सूर्योदय तक सर्वार्थसिद्धि नामक शुभ योग है। चंद्रमा: अंतरात्रि ४.०५ तक मीन राशि में, इसके बाद मेष राशि में रहेगा। शुभ वि.सं. : २०७५, संवत्सर: विरोधकृत्, अयन: उत्तरायण, शाके: १९४०, हिजरी: १४३९, मु.मास: रज्जब-२८, ऋतु: बसन्त, मास: वैशाख, पक्ष: कृष्ण।
ग्रह राशि-नक्षत्र परिवर्तन : रविवार को सामान्यत: राजसेवा, पशु क्रय-विक्रय, हवन इत्यादि मंत्रोपदेश लेना-देना आदि कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं। दिशाशूल : रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। चन्द्र स्थिति के अनुसार आज उत्तर दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद है।
श्रेष्ठ चौघडि़ए
आज प्रात: ७.४२ से दोपहर १२.२७ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत तथा दोपहर बाद २.०२ से अपराह्न ३.३७ तक शुभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.०१ से दोपहर १२.५२ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।
आज प्रात: ७.४२ से दोपहर १२.२७ तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत तथा दोपहर बाद २.०२ से अपराह्न ३.३७ तक शुभ के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.०१ से दोपहर १२.५२ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।
राहुकाल
सायं ४.३० बजे से सायं ६.०० बजे तक राहुकाल वेला में शुभ कार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है। शुभ मुहूर्त
१८ अप्रेल : अक्षय तृतीया का स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त है। विपणि-व्यापारारम्भ, मशीनरी प्रारंभ, नवीन वाहनादि क्रय करना, प्रसूतिस्नान व जलवा आदि के कृतिका और विवाह का रोहिणी नक्षत्र में शुभ मुहूर्त है।
१९ अप्रेल : विवाह रोहिणी में (दिवालग्न) व मृगशिरा में (रात्रिलग्न) तथा वधू-प्रवेश का मृगशिर नक्षत्र में शुभ मुहूर्त है।
२० अप्रेल : विवाह, व्रतबंध, गृहारम्भ (च.शु.स.), गृहप्रवेश (च.शु.र.), देवप्रतिष्ठा, विपणि-व्यापारारम्भ, मशीनरी प्रारंभ, नवीन वाहन क्रय करना, प्रसूतिस्नान, मुण्डन, विद्यारम्भ, सगाई, रोका, टीका, जेनऊ और वधूप्रवेश के मृगशिरा में यथाआवश्यक शुभ मुहूर्त है।
सायं ४.३० बजे से सायं ६.०० बजे तक राहुकाल वेला में शुभ कार्यारंभ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है। शुभ मुहूर्त
१८ अप्रेल : अक्षय तृतीया का स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त है। विपणि-व्यापारारम्भ, मशीनरी प्रारंभ, नवीन वाहनादि क्रय करना, प्रसूतिस्नान व जलवा आदि के कृतिका और विवाह का रोहिणी नक्षत्र में शुभ मुहूर्त है।
१९ अप्रेल : विवाह रोहिणी में (दिवालग्न) व मृगशिरा में (रात्रिलग्न) तथा वधू-प्रवेश का मृगशिर नक्षत्र में शुभ मुहूर्त है।
२० अप्रेल : विवाह, व्रतबंध, गृहारम्भ (च.शु.स.), गृहप्रवेश (च.शु.र.), देवप्रतिष्ठा, विपणि-व्यापारारम्भ, मशीनरी प्रारंभ, नवीन वाहन क्रय करना, प्रसूतिस्नान, मुण्डन, विद्यारम्भ, सगाई, रोका, टीका, जेनऊ और वधूप्रवेश के मृगशिरा में यथाआवश्यक शुभ मुहूर्त है।