scriptAshadhi Ekadashi 2022 Date: आषाढ़ी एकादशी 2022 में कब है? साथ ही जानें आषाढ़ी एकादशी व्रत के नियम और महत्व | Ashadhi Ekadashi 2022 Date shubh muhurat puja vidhi and significance | Patrika News

Ashadhi Ekadashi 2022 Date: आषाढ़ी एकादशी 2022 में कब है? साथ ही जानें आषाढ़ी एकादशी व्रत के नियम और महत्व

locationनई दिल्लीPublished: Jun 20, 2022 05:36:19 pm

Submitted by:

Tanya Paliwal

Ashadhi Ekadashi 2022: पंचांग के अनुसार हर महीने दो एकादशी तिथि पड़ती हैं। वहीं हिंदू कैलेंडर के चौथे महीने आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को आषाढ़ी एकादशी के नाम से जाना जाता है।

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Ashadhi Ekadashi 2022 Date: आषाढ़ी एकादशी 2022 में कब है? साथ ही जानें आषाढ़ी एकादशी व्रत के नियम और महत्व

हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में एकएक एकादशी तिथि पड़ती है। इस तरह पूरे वर्ष में 24 एकादशियां होती हैं। इनमें से कुछ एकादशी व्रतों को खास महत्व दिया गया है। वहीं हिंदू कैलेंडर के चौथे महीने आषाढ़ के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को आषाढ़ी एकादशी कहा जाता है। साथ ही ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक इसे देवशयनी एकादशी, देवपोधि एकादशी, महा एकादशी, हरिशयन एकादशी आदि के नाम से भी जानते हैं। मान्यता है कि एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है।

 

कब है आषाढ़ी एकादशी 2022?
इस साल 2022 में आषाढ़ी एकादशी यानी देवशयनी या हरिशयन एकादशी का व्रत 10 जुलाई, रविवार को रखा जाएगा। पंचांग के मुताबिक आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 9 जुलाई 2022 को शाम 4 बजकर 39 मिनट से होकर इसका समापन 10 जुलाई 2022 को दोपहर 2 बजकर 13 मिनट पर होगा। एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा का विधान होता है। मान्यता है कि आषाढ़ी एकादशी या देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु 4 मास के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं। शास्त्रानुसार इस दौरान शादी-ब्याह जैसे शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है। तो आइए जानते हैं आषाढ़ी एकादशी व्रत के नियम…

आषाढ़ी एकादशी व्रत की पूजा विधि
आषाढ़ी या देवशयनी एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए।

फिर घर के पूजा स्थल को साफ करके वहां भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को आसन पर विराजमान करें। इसके बाद पूजन के दौरान विष्णु जी को पीला चंदन, पीले वस्त्र और पीले फूल, पान, सुपारी अर्पित करें।

तत्पश्चात धूप-दीप जलाकर भगवान विष्णु की आरती करें। साथ ही “सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्।विबुद्धे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।।” मंत्र द्वारा विष्णु भगवान की स्तुति करें।

इस व्रत में भगवान विष्णु की पूजन के बाद ब्राह्मणों को भोजन या फलाहार कराने का भी विधान है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु का भजन और स्तुति करें। साथ ही विष्णु जी को शयन करवाने के बाद ही सोएं।

आषाढ़ी एकादशी व्रत का महत्व
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि आषाढी एकादशी का व्रत करने वाले मनुष्य को भगवान विष्णु की खास कृपा प्राप्त होती है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। patrika.com इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ की सलाह ले लें।)

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