हिंदू धर्म में वेद का बहुत महत्व है। वेद के माध्यम से हम सृष्टि के आरंभ से अंत कर के बारे में सबकुछ जान सकते हैं। वैसे तो हिंदू धर्म में कुल चार वेद में जिनमें से एक है अथर्वेद। अथर्वेद से ही आयुर्वेद का जन्म हुआ और इसी के माध्यम से कई जड़ी बूटियों का उपयोग कर वेद और ऋषियों द्वारा गंभीर बीमारियों का इलाज करवाया जाता था। इन दिनों भी वायरल रोगों का काफी डर लोगों के मन में बना हुआ है। क्योंकि यही वायरल रोग गंभीर बीमारी का रूप ले लेते हैं। इसलिये ज्योतिष और आयुर्वेद में कुछ उपाय बातए गए हैं, जिनसे वायरल रोगों को भी नियंत्रित किया जा सकता है। आइए जानते हैं क्या हैं वो उपाय…
लोबान
आयुर्वेद के अनुसार, लोबान को कई रोगों का नाश करने वाला माना जाता है और व्यक्ति की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाला भी माना जाता है। इसके अलावा लोबान का उपयोग दैवीय शक्तियों को जगाने के लिये तंत्र-मंत्र में भी उपयोग में लिया जाता है।
वहीं अगर ज्योतिषशास्त्र की बात करें तो वायरल रोगों का प्रमुख हाथ शनि, राहु और केतु का माना गया है। तो अगर आप इन वायरल रोगों से बचना चाहते हैं तो राहु, केतु और शनिदेव की शांति घर में जरुर करवायें और रोजाना घर में लोबान का धुंआ भी करें।
लहसुन
धार्मिक मान्यता है की व्रत व उपवास में लहसुन और प्याज नहीं खाना चाहिये। ज्योतिष के अनुसार माना जाए तो लहसुन प्याज का संबंध राहु और केतु से माना जाता है। लेकिन आयुर्वेद की दृष्टि से लहसुन का सेवन करने से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। इसका नियमित रुप से सेवन करने से कोई भी वायरल रोग आपको जल्दी प्रभावित नहीं कर सकता है।
कपूर
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कपूर को बहुत शुद्ध माना जाता है। कपूर को पूजा-पाठ में उपयोग में लिया जाता है। अगर असली कपूर मिल जाए तो उसे जरुर जलाना चाहिये। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कपूर को शुक्र ग्रह से संबंधित माना जाता है। ग्रंथों में शुक्र को राहु केतु का गुरु कहा गया है। इसलिये जहां कपूर जलाया जाता है वहां केतु और राहु का बस नहीं चलता है। इसलिये राहु व केतु जिनका संबंध रोगों व वायरल विषाणुओं से है तो इन्हें शांत करने के लिये अपने घर में कपूर जरुर जलाएं।
आर्युवेद और ज्योतिष के अनुसार जिन घरों में नियमित दो से तीन बार कपूर का धुआं किया जाता है वहां रोगाणु शांत रहते हैं यानी उनका प्रभाव कम होता है। इसलिए प्राचीन काल से ही हवन और पूजन में कपूर का प्रयोग किया जाता रहा है। कपूर का धुआं शरीर में लगने से और इसका धुआं जहां तक जाता है वहां तक का वातावरण शुद्ध रहता है।
जटामांसी
बहुत से ज्योतिषी वायरल रोगों को प्राकृतिक आपदा भी मानते हैं जिसका संबंध मंगल से माना गया है। इस समय मंगल और शनि की स्थिति कुछ इसी तरह की बनी हुई है जो शुभ फलदायी नहीं है। शनि जब-जब मकर राशि में आए हैं तब-तब जन-धन की हानि हुई है।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, 22 मार्च से शनि के साथ मंगल का मकर राशि में संयोग होने जा रहा है जिससे दुनिया के अलग-अलग देशों में लोग प्राकृतिक आपदा से परेशान हो सकते हैं। मंगल के बुरे प्रभाव को दूर करने के लिए जटामांसी को लोबान के साथ जलाना अशुभ ग्रहों के प्रभाव को दूर करने वाला हो सकता है। आयुर्वेद में जटामांसी को रोगप्रतिरोधी क्षमताओं को बढाने वाला, रोगाणुओं का नाशक एवं हृदय, मस्तिष्क जनित रोग सहित कई अन्य रोगों को दूर करने वाला बताया गया है।