देश में सिर्फ यहां होती है होली के मौके पर रामलीला, 160 सालों से चली आ रही परंपरा
देश में सिर्फ यहां होती है होली के मौके पर रामलीला, 160 सालों से चली आ रही परंपरा

रामलीला अकसर दशहरे के पर्व पर होती है। देश का शायद ही कोई ऐसा हिस्सा होगा जहां रामलीला का मंचन ना हुआ हो, लेकिन क्या आपको पता है हमारे देश में एक ऐसी भी जगह है जहां दशहरे पर नहीं बल्कि होली पर रामलीला का मंचन होता है। शायद आपको सुनकर ये थोड़ा अजीब जरुर लगेगा लेकिन ये बात सही है कि उत्तप्रदेश के बरेली में होली के त्योहार पर रामलीला का आयोजन होता है। आइए जानते हैं कैसे हुई यहां रामलीला की शुरुआत और क्या है यहां की खासियत...

रामलीला ही नहीं यहां राम-सिया के विवाह के गीत भी गाए जाते हैं
उत्तप्रदेश के बरेली में होली पर आयोजित होने वाली रामलीला की मंचन सिर्फ इसी जिले में होता है। यहां रामलीला ही नहीं बल्कि पारंपरिक तौर पर राम-सिता के विवाह के अवधी गीत भी गाए जाते हैं। यह परंपरा सन् 1861 से चली आ रही है। इसी साल में यहां रामलीला की शुरुआत हुई थी और इस बार इसका 160 वां साल होगा।
इस कमेटी द्वारा आयोजित होती है रामलीला
मान्यताओं के अनुसार 160 सालों से चली आ रही रामलीला की परंपरा का आयोजन हर साल श्री रामलीला सभा ब्रह्मपुरी कमेटी की ओर से किया जाता है। इस परंपरा को शुरु करने के पीछे धार्मिक और पौराणिक महत्व भी हैं। लेकिन रामलीला का मंचन करने वाले कलाकार बीते दस सालों से मुनेंद्र व्यास अयोध्या की मंडली ही करती है। इस मंडली के कलाकार अयोध्या से आते हैं।
इस साल 4 मार्च से शुरु हुई रामलीला
होली पर बमनपुरी से शुरू होने वाली इस रामलीला की शुरुआत इस बार 4 मार्च से हुई है और 20 मार्च को इसका समापन होगा। अलग-अलग तिथियों पर अलग-अलग लीलाओं मसलन सीता जन्म, विश्वामित्र आगमन, राम जन्म, जनकपुर स्वयंवर में जाना, नगर दर्शन, अहिल्या उद्धार, ताड़का-सुबाहू वध, धनुष यज्ञ, भगवान श्री राम की बारात, राम बारात, दशरथ मरण, भरत मिलाप, चित्रकूट, अगस्त मुनि संवाद, सीता हरण, शबरी लीला, समुद्र पार, अंगद-रावण संवाद, लक्ष्मण शक्ति, मेघनाथ और रावण वध का मंचन किया जाता है।
नृसिंह मंदिर से शुरु होकर वहीं समाप्त होती है
वैसे तो होली के मौके पर रामलीला का मंचन ही अनोखा लगता है। लेकिन इसके अलावा भी बरेली की इस रामलीला की खास बात है राम बारात। जी हां ये बारात दो-तीन घंटों की नहीं बल्कि 20 घंटों वाली बारात है। यह होलिका दहन के दिन रात 10 बजे नृसिंह मंदिर से निकलती है और पूरे शहर में होते हुए अगले दिन रात के 6 या 7 बजे के करीब नृसिंह मंदिर पर समाप्त होती है।
स्कंदपुराण में मिलता है उल्लेख
पंडित श्रीराम शंखधार बताते हैं कि बरेली में होली के मौके पर रामलीला इसलिए मनाते हैं क्योंकि स्कंदपुराण के अनुसार रावण वध की तिथि का वर्णन चैत्र कृष्ण एकादशी का है। इसी आधार पर बरेली में होली पर्व पर जो कि चैत्र कृष्ण एकादशी में पड़ता है, उस दिन रामलीला का मंचन बीते 160 सालों से किया जा रहा है। किवदंती यह भी है कि हनुमान जी ने तुलसीदास जी से अलग-अलग ऋतुकाल में रामलीला दिखाने की बात कही। राम शंखधार कहते हैं कि राम चरित्र राष्ट्र की आत्मा है। इसे जितनी बार अलग-अलग रूपों में दर्शाया जाएगा उतना ही यह युवा चरित्र के विकास में सहायक होगा।
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