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अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने बनाया यह अनूठा मंदिर

Published: Aug 21, 2021 08:04:32 am

Submitted by:

deepak deewan

पत्थरों को तराश कर मंदिर का निर्माण किया

Bhaulmada Shivlahara Mahadev Mandir Bhaulmada Shivlahara Caves Mandir

Bhaulmada Shivlahara Mahadev Mandir Bhaulmada Shivlahara Caves Mandir

अनूपपुर. पांडवों के अज्ञातवास के रूप में अनूपपुर के भालूमाड़ा शिवलहरा की गुफाएं प्रसिद्ध हैं। इससे पहले अनूपपुर पहुंचे पांडवों ने यहां एक रात गुजारी थी। यहां पांडवों के हाथों से बनाया गया शिव मारुति मंदिर अद्वितीय स्थापत्य वास्तुकला के रूप में आज भी प्रसिद्ध है। इसके गर्भगृह में महादेव की शिवलिंग स्थापित हैं, जिसे पांडवों ने अपने हाथों से स्थापित किया था।

मंदिर में हनुमान जी की भी प्रतिमा है। इसलिए मंदिर का नाम शिव- मारुति पड़ा। जानकारों के अनुसार अज्ञातवास के दौरान पांचों पांडव व द्रोपदी वनवास पर थे। इस दौरान शहडोल में विराट मंदिर, लखबरिया, भठिया के बाद अनूपपुर पहुंचे थे। पांडवों ने मंदिर से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर सोन नदी तट के पत्थरों को तराश कर मंदिर का निर्माण किया था।

 

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सैकड़ों वर्ष पुराना यह मंदिर आज भी मजबूती के साथ स्थापित है। मंदिर एक ही रात में बनाया गया था, सभी जगह पत्थर का उपयोग किया गया है। चार स्तंभ मंदिर के अंदर मुख्य रूप से बनाए गए हैं। गर्भ गृह के बाहर मुख्य द्वार पर भगवान विष्णु के 10 अवतारों की मूर्ति बनी हुई है। नीचे शेषनाग, माता लक्ष्मी व गणेश की प्रतिमा है। द्वार के दोनों तरफ द्वारपाल हैं।

4 स्तंभ में बाईं तरफ घोड़ों पर सवार भगवान सूर्य, नीचे पुत्र कर्ण और हाथी पर सवार इंद्र की प्रतिमा बनी हुई है। दाएं स्तंभ में राजा इंद्र धनुष लिए हुए पुत्र अर्जुन हैं। दोनों स्तंभों में हरि प्रभु कृष्ण और गोपियों की भी प्रतिमा है। मंदिर के पीछे भगवान शिव और विष्णु के परिवार की प्रतिमाएं पत्थर पर उकेरी हैं। शिखर पर उत्तर की ओर मूर्तियां हैं।

 

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