माता शैलपुत्री की पूजा विधि: नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना करने के बाद देवी के इस स्वरूप की पूजा करें। सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उस पर माता की प्रतिमा स्थापित करें। माँ को धुप दीप दिखाएं और उन्हें लाल रंग के फूल अर्पित करें। देवी माँ को फल और मिठाई का भोग लगाएं। अंत में माता शैलपुत्री के मंत्र का जाप करें।
-ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
-वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
-स्तुति: या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ माता शैलपुत्री की पवित्र कथा: पौराणिक कथा अनुसार एक बार राजा दक्ष प्रजापति के आगमन पर उनके स्वागत के लिए वहां मौजूद सभी लोग खड़े हुए, लेकिन भगवान शंकर अपने स्थान पर बैठे रहे। राजा दक्ष को भगवान शिव की यह बात अच्छी नहीं लगी। कुछ समय बाद दक्ष ने अपने निवास पर एक यज्ञ का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने सभी देवी-देवताओं निमंत्रण दिया लेकिन अपनी पुत्री के पति भगवान शिव को वहां आमंत्रित नहीं
किया।