दरअसल शुक्र के राशिपरिवर्तन के ठीक अगले दिन से यानि सोमवार Monday 28 फरवरी 2022 से लगातार 2 दिनों तक भगवान शिव की पूजा के विशेष दिनों का योग बन रहा है।
28 फरवरी 2022: सोम प्रदोष व्रत :-
इस बार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 28 फरवरी 2022 को पड़ रही है, ऐसे में इस दिन प्रदोष व्रत का भी रहेगा वहीं इस दिन सोमवार होने के कारण ये व्रत सोम प्रदोष Som Pradosh के नाम से जाना जाएगा। पंडितों व जानकारों के अनुसार इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग के चलते प्रदोष व्रत बहुत लाभकारी होगा।

हिंदू पंचांग के मुताबिक सोमवार 28 फरवरी 2022 को प्रदोष पूजा का मुहूर्त शाम 06 बजकर 20 मिनट से से रात 08 बजकर 49 मिनट तक रहेगा। वहीं इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 07 बजकर 02 मिनट से शुरू होगा, जो अगले दिन मंगलवार, 1 मार्च की सुबह 5 बजकर 19 मिनट तक रहेगा।
साप्ताहिक दिन : | व्रत का नाम : | व्रत का महत्व |
सोमवार : | सोम प्रदोष व्रत : | सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है। |
मंगलवार : | भौम प्रदोष व्रत : | असाध्या रोगों से मुक्ति प्रदान करता है। |
बुधवार : | बुध प्रदोष व्रत : | समस्त इच्छाओं को पूरा करने के लिए विशेष है इस दिन का व्रत। |
गुरुवार यानि बृहस्पतिवार : | गुरु प्रदोष व्रत : | शत्रुओं पर विजय प्रदान करता है गुरु प्रदोष व्रत। |
शुक्रवार : | शुक्र प्रदोष व्रत : | सुख, सौभाग्य और खुशहाल दांपत्य प्रदान करता है। |
शनिवार : | शनि प्रदोष व्रत : | पुत्र प्राप्ति के लिए उत्तम व्रत। |
रविवार : | रवि प्रदोष व्रत : | इस व्रत से लंबी आयु और उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है। |

सोम प्रदोष पूजा विधि: Puja Vidhi of Som Pradosh...
सोम प्रदोष Som Pradosh के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि नित्य कर्मों के पश्चात साफ वस्त्र धारण करें। जिसके बाद मंदिर (घर के मंदिर या कहीं भार मौजूद मंदिर) में जाकर हाथ में जल व पुष्प लेकर सोम प्रदोष व्रत और पूजा का संकल्प लें।
फिर संकल्प लेने वाली दैनिक पूजा और भगवान शंकर lord shiva की आराधना करें। इस दिन सिर्फ एक बार फलाहार करें और पूरे दिन मन ही मन भगवान शिव का मंत्र 'नम: शिवाय ॐ नमः शिवाय' का जाप करते रहें।
जिसके बाद शाम को प्रदोष पूजा Pradosh Puja मुहूर्त से ठीक पहले एक बार फिर स्नान के पश्चात शुभ मुहूर्त में पूजा स्थल पर भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर को स्थापित कर भगवान शिव का गंगाजल Ganga jal से अभिषेक करें। फिर भगवान शिव को धूप, दीया,अक्षत्, पुष्प, धतूरा, फल, चंदन, गाय का दूध, भांग आदि अर्पित करें। इसके साथ ही मौसमी फल व सफेद मिठाई का भगवान शिव को भोग लगाएं।
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01 मार्च 2022: महाशिवरात्रि :-
इस बार फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि मंगलवार,01 मार्च 2022 को पड़ रही है, ऐसे में इस दिन महाशिवरात्रि मनाई जाएगी।
महाशिवरात्रि 2022 : शिव पूजा का शुभ मुहूर्त
शिवरात्रि चतुर्दशी तिथि मंगलवार, 01 मार्च की सुबह 03 बजकर 16 मिनट से बुधवार, 02 मार्च की मध्य रात 01 बजे तक रहेगी। इस दौरान पंचग्रहों के संयोग से कई शुभ योग का निर्माण हो रहा हैं।
इस महाशिवरात्रि पर विशेष योग
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार इस बार शिवरात्रि पर धनिष्ठा नक्षत्र में परिधि नामक योग रहेगा और इस योग के बाद शतभिषा नक्षत्र शुरू हो जाएगा। जबकि परिध योग के ठीक बाद से शिव योग भी शुरू हो जाएगा। वहीं शिव पूजन के समय केदार योग का निर्माण होगा।
पंडित शर्मा के अनुसार पौराणिक ग्रंथों में भगवान शिव के 108 नामों का उल्लेख है। ऐसे में महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के 108 नामों का जाप विशेष फल प्रदान करने वाला माना जाता है। वहीं ये भी माना जाता है कि जो जातक भगवान शंकर के इन नामों का नियमित जाप करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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महाशिवरात्रि की व्रत विधि : Puja Vidhi of Mahashivratri
इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें, इसके बाद भगवान शिव सहित शिव परिवार, जिनमें माता पार्वती और भगवान गणेश, कार्तिकेय और नंदी आते हैं, कि पूजा करें। इस दिन भगवान शंकर के अभिषेक का विशेष फल प्राप्त होता है।
अभिषेक के दौरान lord shiv की प्रिय चीजों का भोग लगाएं और शिव चालीसा और शिव मंत्रों का जाप करें। वहीं शिव पूजा करते समय आप शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें।
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: महाशिवरात्रि के दिन व्रत धारण करने वाले व्यक्ति को सूर्योदय से पहले उठकर नित्यकर्म कर स्नान ध्यान के बाद घर के पूजा स्थान को भी साफ करना चाहिए।
: इस दिन भक्त को घर या मंदिर के शिवलिंग का घी, दूध, शहद, दही, जल आदि से रुद्राभिषेक करना चाहिए।
: महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग या शिव जी की प्रतिमा को बेलपत्र, श्रीफल, धतूरा आदि अर्पित करना चाहिए।
: इस दिन व्रत के दौरान व्यक्ति को शिव साहित्य या शिव जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए। वहीं शाम के वक्त भगवान Shiv Puja करने के बाद प्रसाद बांटना चाहिए और स्वयं भी ग्रहण करना चाहिए। इसके बाद फलहार करना चाहिए।
: व्रत के अगले दिन दान-पुण्य करना उचित माना जाता है।
: इसके पश्चात ही शिव जी की पूजा के बाद व्रत खोलना चाहिए।