महाशिवरात्रि पर रात्रि में पूजा का महत्व प्राचीन काल से ही महाशिवरात्रि पर रात में जगने की परंपरा चली आ रही है। इस दिन कुछ लोग पूरी रात जगकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। कहा जाता है महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। कहा जाता है कि इस दिन न तो रात में सोना चाहिए ना ही किसी को सोने देना चाहिए।
चार पहर की पूजा पहले पहर की पूजा: शाम 07.42 बजे से 09.40 बजे तक दूसरे पहर की पूजा: रात 10.00 बजे से 12.50 बजे तक तीसरे पहर की पूजा: रात 01.20 बजे से 03.50 बजे तक
चौथे पहर की पूजा: सुबह 04.10 बजे से 05.30 बजे तक
मान्यता है कि महाशिवरात्रि की रात चारों पहर में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर कामना पूर्ण करते हैं। यही कारण है कि महाशिवरात्रि की रात चारों पहर पूजा करने का विशेष महत्व है।
मान्यता है कि महाशिवरात्रि की रात चारों पहर में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की हर कामना पूर्ण करते हैं। यही कारण है कि महाशिवरात्रि की रात चारों पहर पूजा करने का विशेष महत्व है।