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सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची… रोजाना करें गणेश जी की ये आरती, जीवन के विघ्नों से मुक्ति मिलने की है मान्यता

locationनई दिल्लीPublished: Sep 06, 2022 10:54:48 am

Submitted by:

Tanya Paliwal

Ganesh Aarti Sukhkarta Dukhharta: गणेशोत्सव का समापन तो कुछ ही दिनों में हो जाएगा। इस दौरान भक्त गणेश जी को मनाने के लिए सुबह-शाम पूजा और आरती करते हैं। परंतु शास्त्रों के अनुसार गणाधिपति भगवान गणेश की नियमित आरती से जीवन के सभी कष्टों का नाश होता है।

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सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची… रोजाना करें गणेश जी की ये आरती, जीवन के विघ्नों से मुक्ति मिलने की है मान्यता

Ganesh Ji Ki Aarti: शास्त्रों में भगवान गणेश को देवों में प्रथम पूज्य कहा गया है जिनकी पूजा से जीवन के सभी विघ्नों का नाश होता है। मान्यता है कि जो कोई भगवान गणेश की नियमित पूजा-आराधना करता है उसे जीवन की परेशानियों से मुक्ति मिलने के साथ ही बुद्धि, वाणी और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। वहीं शास्त्रों में भगवान गणेश के पूजन के बाद धूप-दीप से बप्पा की आरती करना बहुत शुभ माना जाता है। वहीं गणेशोत्सव के दौरान तो भक्तजन गणेश जी की विधि-विधान से पूजा-आरती करते हैं परंतु रोजाना भगवान गणेश की ये आरती करने से जीवन में सभी काम निर्विध्न सफल होते हैं…

“गणेश जी की आरती सुखकर्ता दुखहर्ता”

सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव

 

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

 

अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

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