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Guru Pradosh Vrat 2023: माघ का दूसरा प्रदोष व्रत कब है, जानें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

Published: Jan 28, 2023 08:06:20 pm

Submitted by:

Pravin Pandey

Guru Pradosh Vrat 2023: हिंदी कैलेंडर में हर महीने में दो त्रयोदशी पड़ती हैं। इस तिथि पर भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस साल के दूसरे महीने यानी फरवरी महीने का पहला और माघ का दूसरा प्रदोष व्रत 2 फरवरी गुरुवार को पड़ रहा है। इस दिन सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा करने वाले व्यक्ति पर शिव की कृपा होती है।

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Guru Pradosh Vrat 2023: माघ महीने में पड़ रहा गुरु प्रदोष व्रत विशेष फलदायी माना जा रहा है। मान्यता है कि जो लोग प्रदोष व्रत रखते हुए भगवान शिव की सायंकाल पूजा करते हैं, उनका वैवाहिक जीवन सुखी रहता है। उनको सुख समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

दो फरवरी को पड़ रहा गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat) तिथि की शुरुआत शाम 4.26 बजे से होगी, और तिथि का समापन 3 फरवरी 2023 को शाम 6.57 बजे होगा। इस दिन गुरु प्रदोष पूजा मुहूर्त शाम 6.01 से रात 8.38 बजे तक रहेगा।
गुरु प्रदोष व्रत पूजन विधिः प्रयागराज के आचार्य प्रदीप पाण्डेय बुधवार प्रदोष व्रत के पूजन के लिए यह विधि (Guru Pradosh Vrat Puja Vidhi) बताते हैं।


1. प्रदोष व्रत के लिए सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान का ध्यान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
2. इसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
3. पूजा के समय पूजा स्थल पर मुंह, उत्तर या पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए।
4. भगवान शिव का गंगाजल से अभिषेक करें और पुष्प, अक्षत, भांग, धतूरा, सफेद चंदन, गाय का दूध, धूप अर्पित करें
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5. ऊं नमः शिवाय पंचाक्षरीय मंत्र का जाप करना चाहिए।
6. शिव चालीसा का भी पाठ करें
7. इसके बाद आरती करें और पूजा में गलती के लिए क्षमा मांगें।
8. पूजा संपूर्ण होने के बाद सभी को प्रसाद बांटना चाहिए।
9. रात में फिर स्नान कर पूजा करें और शिवजी के सामने घी का दीया जलाएं।

10. आठ दिशाओं में दीपक जलाएं।
11. नमक और अनाज का व्रत में सेवन न करें।

गुरु प्रदोष व्रत का महत्वः शिव प्रदोष व्रत के संबंध में मान्यता है कि इस व्रत को करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। इस व्रत के प्रभाव से सभी दुखों से छुटकारा मिलता है। गुरुवार का प्रदोष व्रत इस दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है। इस व्रत के प्रताप से भक्त को मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। एक प्रदोष व्रत से दो गाय के दान के बराबर पुण्य फल मिलता है।

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