ये भी पढ़ें- Hariyali Amavasya 2019 : बहुत महत्वपूर्ण है सावन अमावस्या, ये है पूजन विधि अमावस्या तिथि का प्रारंभ 31 जुलाई को सुबह 11.58 बजे से होगा, जो एक अगस्त को प्रात: 8.42 बजे तक रहेगा। पितृ कार्य अमावस्या 31 को रहेगी और देवकार्य अमावस्या या हरियाली अमावस्या का पर्व एक अगस्त को मनाया जाएगा।
पितरों की याद में करें पौधारोपण इस तिथि पर पितरों के लिए पूजा-पाठ, श्राद्ध-तर्पण किया जाता है। पितरों को चढ़ने वाले फूल सेवंती, अगस्त, तुलसी, भृंगराज, शमी, आंवला, श्वेत-पुष्प आदि के पौधे लगाएं और आगामी श्राद्धपक्ष में पितरों को अर्पित करें। इससे घर-परिवार में सुख समृद्धि बढ़ेगी।
प्रकृति संरक्षण के लिए प्रेरित करता है हरियाली अमावस्या हरियाली अमावस्या वैदिक साधना में प्रकृति संरक्षण के लिए प्रेरित करने का पर्व है। इस दौरान प्रकृति के पांच प्रमुख तत्व जल, अग्नि, वायु, पृथ्वी और आकाश का संरक्षण करने और इन्हें आगे बढ़ाने के लिए संकल्प लिया जाता है। यही कारण है कि भगवान शिव (
Lord Shiva ) की इस माह में आराधना होती है। जल, पुष्प, बिल्व पत्र, फल आदि अर्पित किए जाता है। ये सब प्रकृति से प्राप्त चीजें हैं। ये हमें प्रकृति से जुड़े रहने का और संरक्षण करने का संदेश देती है।
जलवायु में परिवर्तन से होगी अच्छी बारिश जलवायु में परिवर्तन का कारक बुध ग्रह है। अमावस्या पर सुबह 9.42 बजे से बुध ग्रह मार्गी होगा। इससे अच्छी बारिश (
rain ) की संभावना बनेगी। मान्यता है कि बुध अन्य ग्रहों की ऊर्जा को संरक्षित कर जलवायु में परिवर्तन करता है। वर्तमान में गुरु वक्री चल रहा है। वक्री रहते हुए कर्क राशि स्थित सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध और शुक्र से नवम-पंचम दृष्टि संबंध बनेगा। इसका असर भी
मौसम पर दिखाई देगा।