scriptमथुरा, वृंदावन समेत कई जगहों पर आज है जन्माष्टमी की धूम, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि | Janmashtami 2022 : Janmashtami festival is celebrated today in many places including Mathura, Vrindavan, know the auspicious time and method of worship | Patrika News

मथुरा, वृंदावन समेत कई जगहों पर आज है जन्माष्टमी की धूम, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

locationनई दिल्लीPublished: Aug 19, 2022 09:39:31 am

Submitted by:

Laveena Sharma

Janmashtami 2022: इस बार अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं बन पा रहा है। इसलिए इस बार जन्माष्टमी पर्व कृतिका नक्षत्र में ही मनाया जाएगा। जानिए जन्माष्टमी पर्व की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।

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मथुरा, वृंदावन समेत कई जगहों पर आज है जन्माष्टमी की धूम, जानें पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

इस बार जन्माष्टमी की तिथि को लेकर काफी कन्फ्यूजन बना हुआ था। कोई 18 अगस्त को तो कोई 19 अगस्त को जन्माष्टमी पर्व बता रहा था। ऐसे में कुछ लोगों ने 18 को जन्माष्टमी मनाई तो कई लोग आज यानी 19 अगस्त को जन्माष्टमी मना रहे हैं। भगवान कृष्ण की जन्म नगरी मथुरा और वृंदावन में आज ही जन्माष्टमी मनाई जा रही है। जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र का विशेष महत्व माना जाता है। क्योंकि ऐसी मान्यता है कि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में रोहिणी नक्षत्र में भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। इस बार अष्टमी तिथि पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग नहीं बन पा रहा है। इसलिए इस बार जन्माष्टमी पर्व कृतिका नक्षत्र में ही मनाया जाएगा। जानिए जन्माष्टमी पर्व की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त।

जन्माष्टमी पूजा मुहूर्त:
-19 अगस्त 2022, शुक्रवार
-निशीथकाल पूजा मुहूर्त रात 12 बजकर 3 मिनट से 12 बजकर 46 मिनट तक
-पूजा के लिए कुल 43 मिनट का समय मिलेगा।
-जन्माष्टमी व्रत का पारण मुहूर्त 20 अगस्त की सुबह 5 बजकर 52 मिनट के बाद है।

जन्माष्टमी पर बन रहे हैं विशेष शुभ संयोग: इस बार जन्माष्टमी काफी खास होने वाली है क्योंकि 19 अगस्त को ध्रुव योग का निर्माण हो रहा है। इस योग में भगवान कृष्ण की पूजा फलदायी बताई जाती है। मान्यता है कि धुव्र योग में किसी भी कार्य को करने से उस कार्य में सफलता की प्राप्ति होती है।
धुव्र योग का प्रारंभ: 18 अगस्त 2022 को रात 08.41 बजे से,
धुव्र योग की समाप्ति:19 अगस्त 2022 को रात 08.59 बजे तक।

कैसे मनाते हैं जन्माष्टमी का त्योहार? द्वापर युग में पृथ्वी को कंस के अत्याचारों से मुक्त करने के लिए भगवान विष्णु के 8वें अवतार भगवान कृष्ण ने धरती पर जन्म लिया था। धार्मिक मान्यताओं अनुसार जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था तब भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र था। इसलिए भगवान कृष्ण के भक्तों के लिए जन्माष्टमी का दिन बेहद खास होता है। इस दिन भक्त पूरे दिल उपवास रखते हैं। बाल गोपाल का पंचामृत से अभिषेक करते हैं और रात भर मंगल गीत गाते हैं। मान्यता है इस दिन भगवान कृष्ण जी की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को दीर्घायु, सुख-समृद्धि तथा संतान की प्राप्ति होती है।

जन्माष्टमी व्रत की पूजा विधि:
-जन्माष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि कार्यों को संपन्न करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
-एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति को स्थापित करें।
-लड्डू गोपाल को धूप और दीपक दिखाकर उन्हें फल और मिठाई का भोग लगाएं। इस बात का खास ध्यान रखें कि जिस भी प्रसाद का भोग लगाएं उसमें तुलसी के पत्ते जरूर डालें।
-जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को मखाना और मिश्री का भोग जरूर लगाएं। मान्यता है इससे भगवान कृष्ण जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं।
-इस दिन खीर का भोग लगाना भी शुभ माना जाता है।
-रात में पूजा के समय भगवान की मूर्ति को किसी थाली में रखकर उनका पंचामृत से अभिषेक करें। इसके बाद उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं।
-इसके बाद श्रीकृष्ण को नए वस्त्र अर्पित करें और उनका श्रृंगार करें।
-फिर भगवान कृष्ण को अष्टगंध चन्दन या रोली से तिलक लगाएं और उन्हें अक्षत अर्पित करें, साथ ही उनका पूजन करें।
-अंत में भगवान के बाल स्वरूप की आरती उतारें और प्रसाद सभी में वितरित कर दें।

जन्माष्टमी पर करें इन मंत्रों का जाप:
।। ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय नमः।।
ॐ नमो भगवते तस्मै कृष्णाया कुण्ठमेधसे,
सर्वव्याधि विनाशाय प्रभो माममृतं कृधिरा

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