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Krishna Janmashtami 2017: जानिए देश के तमाम हिस्सों में कैसे मनाते हैं जन्माष्टमी

locationआगराPublished: Aug 14, 2017 10:02:00 am

Submitted by:

suchita mishra

जानें ब्रज क्षेत्र सहित देश के तमाम हिस्सों में कैसे होता है Krishna Janmashtami का आयोजन।

Krishna Janmashtami

Krishna Janmashtami 2017

कन्हैया का जन्म बेशक मथुरा में हुआ था लेकिन हिंदुओं में वे एकमात्र ऐसे देवता हैं जिनके मंदिर और भक्त देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी मौजूद हैं। यही कारण है कि हर साल कन्हैया का जन्मोत्सव देश के तमाम हिस्सों में विभिन्न तरीकों मनाया जाता है। कहीं कन्हैया की लीलाओं का आनंद लिया जाता है तो कहीं उन्हें मेवा, मिष्ठान आदि 56 भोग अर्पित किए जाते हैं। लोग पूरे श्रद्धाभाव के साथ जन्माष्टमी का व्रत रखते हैं और घर पर सुबह से ही अपने प्रभु के लिए तमाम व्यंजन तैयार करना शुरू कर देते हैं। इस बार जन्माष्टमी का त्योहार 14 और 15 अगस्त को है। इस मौके पर जानते हैं कि देश के तमाम हिस्सों में किस तरह Krishna Janmashtami सेलिब्रेट की जाती है।
ब्रज क्षेत्र: ब्रज क्षेत्र के मथुरा में कन्हैया का जन्म हुआ था। बाल्यकाल से जुड़ी सारी लीलाएं भी ब्रज क्षेत्र में ही हुईं। इसलिए यहां के लोगों में कन्हैया के प्रति एक अलग ही प्यार, भक्ति और आस्था देखने को मिलती है। घरों व मंदिरों में झांकियां सजती हैं। छोटे—छोटे बच्चों को कन्हैया और राधा बनाया जाता है। लोग व्रत रखते हैं। महिलाएं अपने कान्हा के लिए तमाम व्यंजन घर पर ही बनाती हैं। शाम से मंदिरों में भजन कीर्तन शुरू हो जाते हैं। रात में 12 बजे नार वाले खीरे से कन्हैया का जन्म कराया जाता है। उन्हें दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से स्नान कराकर मिष्ठान, मेवा, पंचामृत आदि का भोग लगाया जाता है। सुंदर वस्त्र पहनाकर और अपने कान्हा को सजाकर लोग उन्हें पालने में बैठाकर झूला झुलाते हैं। उसके बाद प्रसाद खाकर अपना व्रत खोलते हैं। वहीं इस मौके पर दूर—दूर से लोग मथुरा—वृंदावन पहुंचते हैं। वहां कृष्ण जन्मभूमि, बांके बिहारी आदि मंदिरों पर कन्हैया का विशेष अभिषेक होता है।
गुजरात: यहां भगवान् कृष्ण का द्वारकाधीश मंदिर है। यह मंदिर देश के चार धामों में से एक है। इसे फूलों से सजाया जाता है। छोटे—छोटे बच्चों को कन्हैया की तरह सजाया जाता है। पूरे गुजरात में जय श्रीकृष्णा की धूम होती है।
महाराष्ट्र: यहां कन्हैया की बाल लीलाओं का भरपूर आनंद लिया जाता है। सड़क पर अच्छी खासी भीड़ होती है। मिट्टी की हांडी में माखन मिश्री भरकर टांगा जाता है जिसे कन्हैया बनकर तोड़ा जाता है। कई जगह मटकी फोड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है। जीतने वाले को इनाम दिया जाता है।
ओडिशा: चार धामों में से एक जगन्नाथ पुरी मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाता है। लोग इस दिन उपवास रखते हैं और रात को भगवान के जन्म के बाद ही उपवास खोलते हैं।
दक्षिण भारत: यहां लोग घर की साफ सफाई कर रंगोली बनाते हैं और कन्हैया की मूर्ति स्थापित धूप, दीप और प्रसाद आदि चढ़ाते हैं।

पूर्वी भारत:  देश के इस हिस्से में कन्हैया के इस्कॉन आदि तमाम मंदिरों को सजाया जाता है। कृष्ण भगवान की रासलीलाओं को मणिपुरी डांस स्टाइल में प्रस्तुत किया जाता है।
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