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सिर्फ चंद्रमा ही नहीं, मंगल भी हैं ‘मामा’, जानें कैसे

locationभोपालPublished: Jun 10, 2019 04:18:13 pm

Submitted by:

Pawan Tiwari

सिर्फ चंद्रमा ही नहीं, मंगल भी हैं ‘मामा’, जानें कैसे

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सिर्फ चंद्रमा ही नहीं, मंगल भी हैं ‘मामा’, जानें कैसे

हमलोग बचपन से चंद्रमा को मामा कहते आ रहे हैं। लेकिन ये नहीं जानते हैं कि आखिर चंद्रमा को मामा क्यों कहते हैं? दरअसल, माना जाता है कि देवी लक्ष्मी और चंद्रमा की उत्पत्ति समुद्र से हुई है। हम देवी लक्ष्मी को मां कहते हैं, यही कारण है कि चंद्रमा को मामा कहते हैं। ऐसा नहीं है कि सिर्फ चंद्रमा ही हमारे मामा हैं, मंगल भी मामा लगेंगे। अब आप सोच रहे होंगे कि ये कैसा हो सकता है तो हम आपको बताते हैं…
दरअसल, सीता और मंगल की उत्पत्ति पृथ्वी से हुई है। जिस तरह देवी सीता पृथ्वी पुत्री हैं, उसी प्रकार मंगल पृथ्वी पुत्र हुए। इस तरह दोनों भाई-बहन हैं। इसके अलावे हमलोग पृथ्वी को मां कहते हैं। ऐसे में मंगल हमारे मामा हुए।
वैसे किसी भी धार्मिक ग्रंथ में सीताजी के किसी भाई का उल्लेख नहीं है। वाल्मीकी रामायण हो या श्रीरामचरितमानस किसी भी ग्रंथ में देवी सीता के भाई का जिक्र नहीं है लेकिन कई ग्रंथों में सीताजी के भाई का परिचय होता है।
श्रीरामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने ‘जानकी मंगल’ में मंगल और देवी सीता के बीच भाई-बहन के स्नेह के एक दुर्लभ दृश्य के संकेत दिए हैं। जानकी मंगल के अनुसार, देवी सीता की शादी के वक्त जब लावा परसाई रस्म का समय आया तो शादी करा रहे ऋृषिवर ने दुल्हन के भाई को बुलाया। जानकी मंगल में बताया गया है कि इस रस्म को पूरा करने के लिए मंगल गए। उन्होंने ही इस रस्म को पूरा किया। बताया जाता है कि मंगल यहां मां पृथ्वी के आदेश पर वेष बदलकर पहुंचे थे।
गौरतलब है कि हिन्दू धर्म में बहन की शादी में लावा परसाई रस्म को भाई ही पूरा करता है। अगर किसी को अपना भाई नहीं होता है तो दूर के भाई इस रस्म को पूरा करता है। इस तरह मंगल हमारे मामा हुए।
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