दरअसल, सीता और मंगल की उत्पत्ति पृथ्वी से हुई है। जिस तरह देवी सीता पृथ्वी पुत्री हैं, उसी प्रकार मंगल पृथ्वी पुत्र हुए। इस तरह दोनों भाई-बहन हैं। इसके अलावे हमलोग पृथ्वी को मां कहते हैं। ऐसे में मंगल हमारे मामा हुए।
वैसे किसी भी धार्मिक ग्रंथ में सीताजी के किसी भाई का उल्लेख नहीं है। वाल्मीकी रामायण हो या श्रीरामचरितमानस किसी भी ग्रंथ में देवी सीता के भाई का जिक्र नहीं है लेकिन कई ग्रंथों में सीताजी के भाई का परिचय होता है।
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श्रीरामचरितमानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास ने ‘जानकी मंगल’ में मंगल और देवी सीता के बीच भाई-बहन के स्नेह के एक दुर्लभ दृश्य के संकेत दिए हैं। जानकी मंगल के अनुसार, देवी सीता की शादी के वक्त जब लावा परसाई रस्म का समय आया तो शादी करा रहे ऋृषिवर ने दुल्हन के भाई को बुलाया। जानकी मंगल में बताया गया है कि इस रस्म को पूरा करने के लिए मंगल गए। उन्होंने ही इस रस्म को पूरा किया। बताया जाता है कि मंगल यहां मां पृथ्वी के आदेश पर वेष बदलकर पहुंचे थे।
गौरतलब है कि हिन्दू धर्म में बहन की शादी में लावा परसाई रस्म को भाई ही पूरा करता है। अगर किसी को अपना भाई नहीं होता है तो दूर के भाई इस रस्म को पूरा करता है। इस तरह मंगल हमारे मामा हुए।